जय बैंगलोर दर्शिनी
बिटिया रानी ने घर आने पर दोसा खाने की इच्छा बताई
बर्लिन से इतने दिनों बाद आईं है
लो जी क्या बात है, अभी चलते है दोसा खाने ,
सारा बैंगलोर दोसा रेस्टॉरंटो से भरा पड़ा है
हर गली चौराहे पर ठेले पर मिलने वाले ९९ किस्म के दोसा से लेकर
फाइव स्टार होटलों में हर किस्म का दोसा मिलता है
सादा, मसाला, रवा दोसा, पेसरट्टु (मूंग दाल से बना), मुट्टा दोसा, रागी दोसा,
सब कुछ उपलब्ध है
बिटिया रानी को मैसूर मसाला दोसा पसंद है, अंदर लाल चटनी समाविष्ट,
करारा दोसा, दो कटोरी सांभर के साथ
पहले तो हम लोग गली के मोड़ पर स्थित उडुपी पार्क में जाकर, खड़े खड़े ही खा लेते थे
पर अबकी बार सोचा कि थोड़े संभ्रांत स्तर के होटल आजमाए जाएं
पहले कर्नाटक गोल्फ क्लब और फिर Essoto का दोसा खाया गया
पर बात बनी नहीं, बिटिया रानी को दर्शिनी प्रणाली का दोसा चाहिए था
दर्शिनी होटल बैंगलोर के सुलभ, क्विक सर्विस रेस्टोरेंट की श्रृंखला है,
बम्बई के उडुपी भोजनालयों की तरह
काउंटर पर जाकर टोकन लीजिये, दाम अदा करें और आपकी पसंदीदा डिश मिनटों में हाज़िर है
सीमित डिशें हैं, इडली, वड़ा उपमा, केसरी भात और हर दिल अजीज़ मसाला दोसा
स्टील की प्लेट में नारियल की चटनी और कटोरी में दक्षिण कन्नड़ा
शैली का साम्भर, गुड़ का पुट लिए हुए
साथ में कांच के गिलास में कड़क फ़िल्टर कॉफ़ी, मज़ा दुगुना हो जाता है
१९८३ में प्रभाकर जी ने कैफ़े दर्शिनी की जयनगर में शुरुआत कर इस परंपरा को जन्म दिया था
उन्होंने विदेशों में मैक डोनाल्ड KFC जैसे QSR रेस्तौरां देखे थे और दक्षिण
भारतीय टिफ़िन को,उस प्रणाली से चलाना चाहते थे
गाडी चल निकली और खूब चली,
एक समय १००० से ज्यादा दर्शिनी होटल बैंगलोर में चलते थे
आजकल उडुपी पार्क नाम की चेन मशहूर है
बिटिया रानी ने शौक से मैसूर मसाला दोसा खाया, फ़िल्टर कॉफ़ी पी और तृप्त हुईं
बोलीं यह था असली मसाला दोसा
भोजन भट्ट की जान में जान आई