Tuesday, July 8, 2008
बुखारा/समरकंद/ अफगान /पेशावरी
पहली नज़र में भारत के पड़ोसी देशों के शहरों की लिस्ट लग सकती है
पर यह लिस्ट है अलग अलग शहरों के frontier/पठान भोजन के अच्छे रेस्तरां की
दिल्ली का बुखारा इन सबका बादशाह है
कहते हैं कि बिल क्लिंटन और पुतिन साहब बहुत कम बातों पर एकमत थे
वे सहमत थे कि दुनिया में सबसे लज़ीज़ हिन्दुस्तानी खाना बुखारा में मिलता है
चाहे वह रात भर पकने वाली दाल बुखारा हो या तंदूर में पकी सिकंदरी रान हो
मुर्ग मलाई कबाब और तंदूरी झींगा भी नहुत मशहूर है
दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्ष एक दिन दिल्ली में और रुकने के लिए तैयार रहतें हैं
बशर्ते उन्हें बुखारा में दावत दी जाए
दुनिया के ५० बेहतरीन होटलों में इसकी गिनती होती है
एक बार भोजन भट्ट को भी यहाँ जाने का मौका मिला था
२ घंटे के इंतज़ार के बाद बैठने कि जगह मिली
बड़े खानसामा लोग तंदूर में मुर्ग लगाते दिख रहे थे
छोटे स्टूल और नीची मेज, छुरी कांटे नही मिलतें ,हाथ से खाइए
इतना विशाल और मुलायम पनीर टिक्का कहीं और नही मिला
दाल बुखारा टमाटर के रंग और स्वाद से सजी थी
लेकिन सादी दही का रायता ३५० रुपये प्लेट मिलता होगा ,इसकी कल्पना नही की थी
शायद यह दिल्ली में ही सम्भव है
इसके बाद कई बार मिलते जुलते नामों वाले होटलों में गया पर वह स्वाद कहाँ
हाल में बंगलोर के इन्फंट्री रोड पर गेम प्लाजा में बने 'समरकंद' ने याद ताज़ा कर दी
उज्बेगिस्तान का समरकंद,तैमुर खान और चंगेज़ खान के नाम से जाना जाता है
शायद वहां से तंदूर में कबाब बनाने की शुरुआत हुई हो
हमने पनीर टिक्का और माही अफगानी से शुरुआत की
पनीर टिक्का अच्छा था ,दो लोग एक प्लेट नही खा पाये
माही अफगानी असल में तंदूर में पकी बेटकी मछली थी
पूछा क्या समरकंद में मछली मिलती होगी
जबाब था कि चंगेज़ खान के लिए अरल के समुद्र से लाते थे
मित्रों को काफी भाई ,कुछ भी प्लेट में नहीं बचा था
दाल मखनी और और तंदूरी सब्जी ठीक ठाक थी
रेस्तरां लंच के समय भरा था
पेट भी काफी भर गया था
मीठा पान खाकर आ गए
फिरनी/कुल्फी अगली बारी
चित्र साभार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
दिल्ली के बुखारा का नाम तो बहुत सुना है. मौका नहीं मिला, इस बार जाऊँगा.
दिल्ली के बुखारा का नाम तो बहुत सुना है. मौका नहीं मिला, इस बार जाऊँगा.
Post a Comment