पेरिस में माओज़ के फलाफेल
बात सन २०११ की है
भोजनभट्ट परिवार यूरोप की ट्रेन यात्रा पर निकला
सोचा गया क़ि फ़्रांस ,इटली और स्विट्ज़रलैंड रेल से घूमेंगे
बिटिया रानी फ्रेंच बोल लेती है ,पूछते पूछते घूम लेगें .
लेकिन पहले पड़ाव पेरिस से ही मुश्किलें शूरू हो गईं .
शाकाहारी परिवार ने सोचा था कि पेरिस में किसिम किसिम के व्यंजनों की भरमार होगी ,
कहीं न कहीं, थाली न सही, कुछ तो मिल जायेगा खाने के नाम पर
पर दूसरे दिन शाम तक तलाश नाकाम रही .
ऐसा नहीं कि पेरिस में हिंदुस्तानी खाना नहीं मिलता
Gare du Nord रेलवे स्टेशन के पास तो पूरी गली देसी रेस्टॉरेंटों से भरी है
पर हम लोग टुरिस्ट दर्शन की जगहों के पास भटक रहे थे
लूव्रे राजमहल ,आइफेल टॉवर ,म्यूजियम वगैरह
नोट्रे डोम चर्च तक पहुँच कर तेज भूख लग चुकी थी
सीन नदी के किनारे भटकते परिवार नाउम्मीद हो चला था
अचानक Rue Xavier Privas और Rue de la Huchette सड़क के मोड़ पर
एक छोटी सी ढाबे नुमा दुकान दिखी
जिस पर Maoz Veg लिखा था ,पढ़ कर आँखे चमक गयीं
अंदर कदम रखने पर दो तीन मेज और चार पांच कुर्सियां नज़र आईं
डीप फ्रायर में से तलने की खुशबू आ रही थी
मेनू में एक ही चीज़ थी, तीन यूरो की ,
नान जैसी पीटा ब्रेड में पांच फालाफेल
चना दाल के वड़े जैसे कटलेट ,
सारे अरब देशों,इज़राइल ,लेबनान में नाश्ते में मिलते हैं
चार पांच तरह के सलाद बर्तनों में थे,
आप जितना चाहें सैंडविच में डाल लीजिये
हरे खीरे ,कटे टमाटर,पत्ता गोभी ,काले हरे ओलिव,
पुदीना सलाद और तहिनी सॉस
भूखे परिवार की जान में जान आयी
इतना सलाद ज़िन्दगी में कभी खाया हो,याद नहीं
माओज़ साहब और उनकी दुकान को सलाम किया
फलाफेल सैंडविच खाकर अब कदम तेज़ी से उठने लगे
अगले पड़ाव की तरफ
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