Wednesday, October 22, 2008





आहा ग्राम्य जीवन
शहरी ज़िन्दगी की उहा पोह से त्रस्त हों
और शहर के आस पास ही ग्रामीण माहौल में पारंपरिक खाने का स्वाद लेना हो तो कहाँ जायें
अहमदाबाद में रहते हों तो 'विशाला'
उदयपुर में 'आपकी ढाणी'
जयपुर में 'चोखी ढाणी'
एक सप्ताह में भ्रमण के दौरान इन तीन विख्यात अड्डों पर जाने का अवसर मिला
अनुभव मिश्रित रहा
तीनो जगहों का फार्मूला एक जैसा है
अपने क्षेत्र की पारंपरिक थाली ,पारम्परिक तरीके से परोसी जाती है
ज़मीन पर बैठ कर खाने का आनंद उठाइए
स्सथ में कुछ स्संस्कृतिक कार्यक्रम की बानगी भी मिलती है
सबसे पहले 'विशाला'
अहमदाबाद बम्बई हाई वे पर वसना के पास बने इस रिसॉर्ट नुमा होटल में ३१ साल से गुजराती थाली मिलती है
आपने भी अन्य महानगरों में गुजरती थाली खायी होगी पर विश्वास मानिये की यहाँ का स्वाद कुछ अलग है
इसका कारण अपने खेतों में उगाई सब्जी हो सकती है, बाग़ के बीच खटिया पर बैठ कर पत्तल कसोरे में खाना हो सकता है ,गरमजोशी से खिलाने वालों का सलीका हो सकता है
हम लोग सात बजे शाम को पहुँच गए थे ,एक घंटे तक कठपुतली का नाच देखा ,कर्मचारियों का गरबा देखा
सोमवार होने के कारण बर्तनों का म्यूज़ियम बंद था निराशा हुई
मगर उत्तम भोजन ने भरपाई कर दी
पहले तो पत्तल पर पापड़ , हलवा, खांडवी, जलेबी दिखी ,पीने को छास आई
फ़िर ताज़ी कटी सब्जियों का सलाद ,फ़िर मिटटी के छोटे कसोरे में धनिया,लहसुन की चटनी ,माखन
आलू शाक ,भरता, फली की सब्जी ,वाल (बीन्स) की सब्जी -कठोरे
चार तरह की रोटियां -चपाती,भाकरी, बाजरा रोटला और पूरी
आख़िर में खिचडी के साथ गुराती कढ़ी
स्वाद थोड़ा मीठा था पर आनंद भरपूर
३७९ रुपये फी शख्स का रेट ज़्यादा लगा पर अनुभव अवर्णीय था
स्टाफ का उत्साह देखने लायक था
बच्चों के पसंद का काफी सामान था
आप भी पधारें

1 comment:

SUJIT CHOWDHURY said...

संजय जी , आपका कार्ड थोड़ा गुम हो गया था इसलिए आपका ब्लॉग मै पढ़ नही पाया . आपका ब्लॉग थोड़ा पढ़ा काफ़ी दिलचस्प और खास है . sujit chowdhury