Wednesday, November 5, 2008
दफ्तर की कैंटीन
नौकरी करते बीस साल हो गए हैं
सरकारी दफ्तरों में खाने का अनुभव ख़ास नही रहा है
अधिकतर लोग घर से डब्बा लाते हैं
सो उनकी ज़रूरत चाय/हलके जलपान से पूरी हो जाती है
समोसा,लड्डू और ब्रेड पकोडा से आगे ज्यादातर कैंटीन नहीं बढ़ पाईं हैं
खाने के समय पनीली दाल और सुबह की बनी ठंडी सब्जी वाली थाली पर इनकी सुई रुक गई है
दिल्ली ,जालंधर,नागपुर और चंडीगढ़ के दफ्तरों की कैंटीन गाहे बगाहे आजमाई गयीं
पर कुछ बात बनी नहीं
पर बंगलोर के दफ्तर का हिसाब कुछ और है
यहाँ खाना न केवल ताज़ा और स्वाद भरा है
पर इतना सस्ता है कि आस पड़ोस के दफ्तरों के लोग भी यहीं खाना पसंद करते हैं
नीले सफारी सूट की युनिफोर्म पहने वेटर किसी भी छोटे रेस्तरां को मात दे सकते हैं
सफाई और पैकिंग की व्यवस्था भी देखने लायक है
सुबह नाश्ते में गरम गर्म इडली ,उपमा और चौ चौ भात (उपमा और केसरी भात की मिली जुली डिश ) मिलता है
नारियल और चने की दाल की चटनी के साथ
और साथ में फिल्टर काफ़ी
कीमत बस दस -बारह रुपये
ग्यारह बजे के बाद डोसा मिलने लगता है
हर दिन अलग अलग
मसाला डोसा, उत्थपम , रागी डोसा और सेट डोसा सप्ताह के दिनों के हिसाब से मिलतें हैं
अपने खास पल्या(सब्जी) और चटनी के साथ
लंच टाइम में चावल की डिश और कर्ड राइस मिलतें हैं
पुलाव,वांगी भात, टोमाटो राइस ,नारियल राइस, बिसिबेल्ले भात का हमें इंतज़ार रहता है
साथ में भज्जी या दाल वड़ा मंगा लीजिये
भर पेट खाना आठ- बारह रुपये में मिल जाएगा
हर डिश चार रुपये की है और पर्याप्त मात्रा में मिलती हैं
शाम को साउथ इंडियन स्नाक्स और बादाम मिल्क
कुछ लोग तो शाम का खाना भी पैक कर ले जाते दिखें हैं
एक महीने से हम लोग हर रोज कैंटीन में ही खा कर तृप्त हैं मुदित हैं
ऐसी भी हो सकती है कैंटीन
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3 comments:
wah! padhkar hi muh me pani aa gaya aur khushi bhi hui ki kahin kuch log to hain jo achchi suvidha dene ke nam par loot nahi rahe hain, nahi to aaj ki duniya me har koi thodi si bhi suvidha ke nam par sidha-sidha lootne chala aata hai.
भूख जगा दी आपने.
पुणे में भी कोई ऐसी जगहें आपको पता हो तो बताइयेगा जहाँ पर बाहर के लोग भी जाकर जीम सकें.
संजय जी जब आपने ये भोजन के रस से अपने ब्लॉग की शुरुआत की थी तब मुझे लगा था कि दो चार पोस्ट के बाद आप किसी दूसरे मुद्दे पर आ जायेंगे पर यहां तो कमाल है...इतना प्रकार का आप भोजन करा चुके हैं कि क्या बाताएं...आपकी अदा निराली है...अच्छा है लगे रहें और स्वाद परोसते रहें...अच्छा लग रहा है लगे रहें
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