Thursday, December 25, 2025

 चेट्टिनाड में बंगला 

वैसे तो तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले के कराईकुडी इलाके को ही चेट्टिनाड की संज्ञा दी जाती है 

लेकिन इसे Nattukottai Chettiar समुदाय की कार्य स्थली के तौर से जानते हैं 

केवल तीस हज़ार लोगों का यह धनाढ्य व्यापारी समाज,दुनिया भर में फैला है 

बर्मा,मलेशिया ,सिंगापुर और दूर दराज़ के देशों से तिज़ारत और व्यापार के सूत्रों से जुड़ा है 

संस्कृत शब्द श्रेष्ठि से  ही जन्मा रहा   होगा 'सेठ/ शेट्टी/चेट्टि ' 

इनकी विरासत देखने के लिए पिछली सदी में बने कराईकुडी के 

महलों ,हवेलियों और कोठियों की यात्रा ज़रूरी थी 

बर्मा टीक की लकड़ी के खम्भे ,इतालियन संगमरमर और 

बेल्जियम की नक्काशी के शीशे से बने ये भवन भव्य तो हैं 

लेकिन इनकी रखरखाव में काफी खर्चा आता है 

इसका रास्ता निकला चेट्टिआर समुदाय की दो महिलाओं  ने 

MSMM परिवार की विशालाक्षी और मिनाक्षी मेयप्पन ने 

पुराने विस्मृत पारिवारिक बंगला को होटल में तब्दील कर के 

चेट्टिनाड के पुराने बर्तन ,भांडे और स्थानीय कारीगरी के मेज़पोश की सजावट 

सुरुचि पूर्ण ढंग से सजे 'बंगला ' में केले के पत्ते पर चेट्टिनाड भोजन को परसा जाता है 

काली मिर्च,दालचीनी ,स्टार अनीस (कर्ण फूल ) से बने मुर्ग,समुद्री मछली  और केकड़ा सब्जी टूरिस्टों को भाते हैं 

साथ में  कई किस्म के दोसा ,अप्पम और स्टू, इडियप्पम परोसे जाते हैं 

बिटिया रानी तो खुश थीं पर दामाद जी को पारम्परिक चेट्टिनाड थाली की ख्वाहिश थी 

शहर के 'Pichammai मेस' (बड़ी अम्मा की रसोई ) में दोनों क़िस्म की असीमित थाली मिल रही थी 

हम लोगों ने मूंग की दाल,सांभर,कन्द मूल का पोरियल ,दही चावल और पायसम खाई 

जमाई बाबू की पत्तल पर  बिरियानी, मुर्ग,मटन,मछली और झींगा करी के ऊपर उबला अंडा नज़र आया 

नायाब अनुभव