Sunday, September 6, 2009


जंगल में मोर नाचा,हमने देखा
लेकिन बन्दीपुर / नागरहोले के जंगल में काबिनी नदी के किनारे बने जंगल लौज तक पहुँचने में रूह काँप गयी
बंगलोर से २३९ km पर बने इस eco resort तक पहुँचने के लिए मैसूर हो कर जाना था
जब मद्दुर के पास कामथ अल्पाहार में डोसा,इडली वड़ा और अक्की रोटी का नाश्ता किया तो उत्साह देखने लायक था
लेकिन जंगल में रास्ता भटक कर भोजन भट्ट परिवार 'Orange county' रिसॉर्ट पहुँच गया
जंगल लौज वालों से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि आप चिंता न करे ,गाडी वहीँ छोड़ दीजिये,
आपको लेने के लिए नाव भेज देंते है ,बात वाजिब लग रही थी
जब नाव में पाँव रखा तो दिल काँप गया, काबिनी नदी( कावेरी की सहयोगी नदी) पूरे उफान पर थी
अच्छा खासा पानी बरस रहा था ,बिटिया रानी तो मस्त थीं लेकिन भोजन भट्ट और संगिनी का दिल काँप रहा था
अकेले नाविक के सहारे डरते डरते यात्रा पूरी हुई
जंगल लौज पहुँच कर दिल आश्स्वस्त हुआ कि ठीक जगह आ गएँ है
१५०० km के क्षेत्र फल में फैले जंगल में हाथी पकड़ने की 'खेद्दा'प्रथा की यादें जुडी हुईं हैं
मैसूर के महाराजा और ब्रिटिश वायसराय का शिकारगाह आजकल वन जीवों के बचाव का काम कर रहा है
सफारी के दौरान चीतल,साम्भर ,हिरन के झुंड निर्भय होकर घूमते दिखे
जंगली भैसें, गौर और हाथी का बच्चा भी दिखा
कई तरह की चिडिया ,जल पक्षी और मोर दिखे
एक जगह गाइड ने जीप रोक कर बाघ के पद चिन्ह दिखाए
शायद सुबह इधर से गुजरे थे महाराज
रुक रुक कर बारिश हो रही थी
काबिनी नदी के पानी को रोकने से बनी झील का दृश्य अद्भुत था
हर तरफ हरियाली देख कर लगता नहीं था की कहीं सुखा भी पड़ा है
लौट कर प्याज के पकोडे और चाय मिली
टेंट ,कॉटेज और कमरों में गरम पानी से स्नान की व्यवस्था थी
रात के भोजन में स्थानीय शैली की सब्जियां थी ,गर्म दाल ,और रसम थी
मीठे के लिए सेवियां और खीर का मिश्रण था
अच्छी नींद आई
अगली सुबह जब फिर नाव से काबिनी नदी में सफारी का प्रस्ताव आया
तो परिवार ने मना कर दिया

Friday, August 28, 2009


भूख के खिलाफ
हर हाथ को मिले काम
हर जनवादी संगठन का यह नारा है
खाद्य पदार्थों की बढती कीमतों और सूखे की मंडराती छाया के समय
हर पेट को भोजन मिले'
संवैधानिक अधिकार हो जाना चाहिए
बढती सामाजिक/आर्थिक असुरक्षा के माहौल में भोजन की सुरक्षा
का अधिकार (food security) मौलिक अधिकार हो
अब समय आ गया है कि परिवार के आधार पर भोजन का निर्धारण बंद हो और हर आदमी को ज़रूरत के हिसाब से खाना मिले
इसके लिए ज़रूरी है कि यह बहस ज़ल्दी से बंद हो
कि कितने लोगों को ३५ किलो अनाज /दो रुपये किलो मिलेगा और
कितनो को २५ किलो/३ रुपये किलो मिलेगा
हर ज़रूरतमंद को PDS से अनाज मिलना चाहिए
६.२ करोड़ लोगों का आंकडा भ्रामक है ,
वंचित जनों की संख्या दुगनी से ज्यादा है
शहरी गरीब /मेहनतकश इस आंकडे से बाहर है
इसके पहले दुर्भिक्ष फैले /भुखमरी की खबरें अखबार और टीवी चैनल की सुर्खियाँ बननी शुरू हों
अनाज के भंडार खोलें जाएँ
कानूनी अधिकार मयस्सर हों
ज़माखोरी नियंत्रण का कानून सख्ती से लागू हो
संभव हो तो 'अन्नपुर्णा रसोई' शुरू की जाएँ
२१ सदी की उभरती महाशक्ति को कुछ प्रयास इस दिशा में भी करने चाहिए

Saturday, August 15, 2009



हे मैया
बंगलोर के जयनगर ४थे ब्लाक में गणेश मंदिर के पास 'मैया' भोजनालय में
पंद्रह अगस्त को भोजन करने के बाद पूरे परिवार की यही प्रार्थना थी
MTR परिवार के सदानंद मैया द्वारा हाल में खोले रेस्तरां में थाली खाने को उत्सुक भोजन भट्ट परिवार का यह हाल था
सदा फिल्टर काफी पीने को तैयार संगिनी काफी के बारे में सुनने को राजी नहीं थी
बिटिया रानी मुश्किल से गाडी तक चल पायीं
आजादी की सालगिरह की छुट्टी होने से जल्दी पहुँचने का फायदा यह हुआ कि चार मंजिलों वाले इस रेस्तरां में तुंरत जगह मिल गयी
सबसे पहले चांदी के ग्लास में अंगूर का रस आया,ठंडा पर चीनी से भरा
फिर चार खानों वाली थाली (रेल की tray जैसी) में चार तरह की सब्जियां परोसी गयीं
उबली चने की दाल का राइ की बघार लगा सलाद आया,करी पत्ता और हरी मिर्च के स्वाद वाला
बिटिया रानी अपनी पसंदीदा मसालेदार कुद्रुन की सब्जी देखकर खुश हो रहीं थी
संगिनी को आलू की गीली सब्जी भाई ,पूरी के साथ खाने में
मुझे नारियल के रसे में बनी मूंग की दाल का स्वाद अनोखा प्रतीत हुआ
इसके बाद गरमा गर्म बीसी बेले भात (संभार सब्जियीं वाला पुलाव) ,
साथ में रायता और तीन तरह के चिप्स और पापड़
दाल वड़ा और पूरण पोली खाने के बाद लगा अब और खाने की गुन्जायिश नहीं है
लेकिन यह तो महज मध्यांतर था
अभी चावल के साथ रसम ,सांबर और दही की बारी थी
हम लोगों ने थाली में परोसे चावल को दो भाग में विभाजित कर लिया
जिससे और न खाना पड़े
पर अभी तो कढ़ी जैसी माजिगे हुली और pineapple गोज्जू (मीठी चटनी जैसा ) भी परसे गए
इसके बाद पालक और साग से भरपूर साम्भर ,पतली रसम और गाढी दही आई
मन तृप्त हो चूका था ,पेट जवाब दे चूका था
लेकिन अभी खीर जैसी काजू किशमिश भरी पायसम और fruit सलाद और आइसक्रीम के लिए भी जगह बनानी थी
हालत यह हुई कि सब ने मिल के कहा
हे मैया

Monday, July 27, 2009


दाल में काला
अरहर की दाल और बैंगन की सब्जी किसी न किसी रूप में पूरे देश में मिल जाती है
चाहे पूर्वांचल का दाल चावल आलू चोखा हो या दक्षिण का अन्ना साम्भर (चावल +साम्भर)
बिना तूर (अरहर ) की दाल के किसी का पेट नहीं भरता
५०% से अधिक जन के प्रोटीन की स्रोत अरहर दाल का दाम पिछले दिनों आसमान चूम रहा है
३४ रुपये किलो मिलने वाली दाल की कीमत आजकल ९५-१०२ रुपये के आस पास है
जिस देश में अच्छे दिनों में मिलने वाली औसत मजदूरी १०० रुपये से ज्यादा न हो
वहां दाल की इस कीमत ने सारे घरेलु बजट को बिगाड़ दिया है
विद्वान जन इस के पीछे पिछले साल की कम पैदावार को मानते हैं
१२.६५ लाख टन से गिर कर 9.71 टन इस साल
म्यांमार और तंजानिया में कम उत्पादन भी जिम्मेवार है
लेकिन इस साल कम बारिश की आशंका से मिल मालिकों की काला बाजारी भी रंग ला रही है
राज्य सरकारें भी बाज़ार से खरीद कर PDS के माध्यम से कुछ राहत पहुँचाने की कोशिश कर रहीं है
पर हालत खास अच्छे नज़र नहीं आते
बच्चों के मिड डे माल से दाल गायब हो गयी है
ज़रूर दाल में काला है

Sunday, July 19, 2009


सिनेमा में भोजन
अगर हृषिकेश मुखर्जी की फिल्मों में बावर्ची बने राजेश खन्ना के आलू परवल काटते किरदार को छोड़ दें
तो हाल में अमिताभ बच्चन के 'चीनी कम' और माधवन के 'रामजी लन्दन वाले ' के शेफ के
रोल ही याद आतें हैं
बाबी फिल्म में डिम्पल कपाडिया के भजिया बनाते हुए बेसन में सने हाथ वाला दृश्य याद है
वरना औसतन हिंदी फिल्मों में भोजन की ओर कम ध्यान गया है
इसका कारण फ़िल्मी मानस में खाना पकाना नौकर का काम है
ये ज़िम्मेदारी माँ/ पतिव्रता नारी को रसोई में खटते दिखाकर पूरी हो जाती है
बैंगलौर से छपने वाली 'फ़ूड लवर्स गाइड' में विदेशी सिनेमा में
भोजन पर आधारित फिल्मों की पूरी लिस्ट छपी है ,कुछ तो मैंने भी देखीं हैं
१.Chocolat -फ्रांस के एक गाँव में जब चॉकलेट बनाने वाली माँ (जूलियट बिनोचे) बेटी आती हैं
जूलियट की पाक कला के सारे दीवाने हो जाते हैं तो शांत ग्रामीण जीवन में उथल पुथल मच जाती है
johny depp और judi dench की अदाकारी से सजी इस फिल्म(२०००) में चॉकलेट बनाने के दृश्य इतने लुभावने है ,अभी भी सोच कर मुहँ में पानी आ जाता है
२.Like Water for chocolate - मेक्सिको की बनी इस फिल्म में नायिका तितो का प्रेमी पेद्रो
उसे छोड़ कर उसीकी सगी बहन से शादी का निर्णय करता है
तितो पेद्रो के दिए गुलाब के फूलों को मिला कर बटेर का ऐसा शोरबा शादी वाले दिन बनाती है
सारे मेहमान उसके स्वाद से बेचैन हो उठते हैं
इसके अलावा ये फिल्में भी देखिये और मुग्ध हो जाईये
3.Eat Drink Man woman-
4.Mostly Martha
5.Solino
6.Big Night
सिनेमा में भोजन का मतलब पॉप कॉर्न ही नहीं होता

Friday, July 3, 2009


बिटिया रानी ने पास्ता बनाया
पूत के पांव पालने में ही दिखने लगते हैं
सो बिटिया रानी ने सवा साल की उम्र में रोटियां बेलने की जिद पाल ली
बाद में कंप्यूटर पर खाने के व्यंजनों के चित्र बनाने लगीं
जिसकी परिणति उनकी किताब' Father and daughter cook it up for mom' में हुई
आजकल बचपन की उन नादानियों को देख कर शरमा जाती हैं
हाल में टीवी पर रितु डालमिया का कार्यक्रम 'इटालियन खाना ' देखकर उत्साहित हुईं
पहले प्रयोग में पास्ता बनाना चाहतीं थीं
भोजन भट्ट ने उन्हें चाकू के इस्तेमाल और गैस जलाने पर प्रतिबन्ध लगा रखा है
सो उन्हें इन दो कामों में मदद की ज़रूरत पड़ी
आईटीसी का Sunfeast का गेहूं से बना Penne पास्ता उबाला गया
olive आयल में कटे लहसुन को तल कर और सब्जियां और टोफू मिलाया गया
उसमें पास्ता डालकर ऊपर से चीज़ छिड़की गयी
जब oregano छिडकने की बारी आई तो गलती से शीशी का मुंह खुल गया
और सारा पास्ता हरे रंग का दिखने लगा
जिसका रास्ता कुछ पास्ता को पानी में धुल कर निकाला गया
लेकिन स्वाद मज़ेदार था

Thursday, June 18, 2009


एक हफ्ते में साढ़े तीन किलो वज़न घटाया
भोजन भट्ट सदा से गोल मटोल रहे हैं
व्रत द्वारा शरीर को कष्ट देने में यकीन नहीं रखते
लेकिन संगिनी का आग्रह मान कर इस बार इक्कठे डाइट पर जाने का विचार किया
G M Diet ,शर्त यह थी कि भूखे नहीं रहेंगे
एक सप्ताह तक मनोहारी प्रयोगों के बाद देखा तो दोनों लोगों का वज़न करीबन साढ़े तीन किलो घट गया था
दर असल अमरीकी कम्पनी जनरल मोटर्स ने Johns Hopkins Research Centre की सहायता से अपने कर्मचारियों और उनके परिवार जनों की मदद के लिए यह Diet बनाया था
हम लोगों ने उसमे कुछ तब्दीलियीं की ,इसके शाकाहारी संस्करण की खोज में
हर दिन दस ग्लास पानी पीजिये,चाय ,काफी, रस रंजन से परहेज कीजिये
सब्जियों का मनोहारी सूप अधिक मात्रा में बना लीजिये ,भूख लगने पर पीते रहें
आप भी लुत्फ़ उठाइए
पहला दिन - केले की सिवाय सारे फल खा सकते हैं,खरबूज और तरबूज दिल खोल कर खाईये
दूसरा दिन- सारी सब्जियां खा सकते हैं ,उबले/bake किये हुए आलू से शुरुआत कीजिये,चाहें तो थोडा सा मक्खन स्वाद के लिए डाल लीजिये ,हम लोगों ने ढेर सारा सलाद ,उबली और ग्रिल की सब्जियां खायीं
तीसरा दिन- आज फल और सब्जियां मिला जुला कर सेवन करें , आलू और केले को छोड़ कर
हम लोगों ने fruit सलाद बनाया ,सुबह नाश्ते में मटर की घुघनी खायी
चौथा दिन- आज केवल दूध और केले खाने की अनुमति है ,सूप भी पी सकते हैं
हम लोगों ने केले की चाट और banana shake पिया
पांचवां दिन-आज टमाटर और राजमा /सोया/टोफू (सोया पनीर) खा सकतें हैं ,पानी भी ज्यादा पीना होगा
हम लोगों ने नाश्ते में ग्रिल टमाटर और खाने के लिए दक्षिण भारतीय शैली का 'टोमाटो राइस' बनाया
कडाही में प्याज,और कटे टमाटर को भुन कर,हलके नमक मिर्च के साथ उबले चावलों में मिला कर खाया
बहुत स्वादिष्ट लगा ,साथ में राजमा ,सोया और टोफू का सलाद खाया ,निम्बू का रस छिड़क कर
छठां दिन- आज आप सब्जियां और सीमित मात्रा में चावल खा सकते हैं
सदाबहार मटर और corn की घुघनी और बचा हुआ 'टोमाटो राइस' खाया
सातवां दिन- आज के दिन बिना पोलिश किया चावल और सब्जियां खा सकते हैं ,फलों के जूस की भी इजाज़त है
हम लोगों ने सोया,मटर का पुलाव बनाया ,बिना घी तेल का
इस पूरी प्रक्रिया में ख़ास कष्ट नहीं हुआ
देखें कितने दिन यह वज़न बरक़रार रहता है

Monday, June 8, 2009


भोजन का पंजाबीकरण
हाल में उस्ताद वीर संघवी साहब केरल के वायनाड क्षेत्र के किसी होटल में शूटिंग कर रहे थे
भोजन काल में जब उन्होंने उम्मीद की
शायद केरल का पारंपरिक भोजन इस आतंरिक भाग में उपलब्ध होगा
अप्पम और stew मिले न मिले ,मीन मोइली तो ज़रूर मिलेगी
लेकिन केवल बटर चिकन ,काली दाल और पनीर की सब्जी उपलब्ध थी
उनका निष्कर्ष था कि यश चोपडा की फिल्मों के प्रभाव के चलते अब सारा देश पंजाब मय हो गया है
करवा चौथ के व्रत की कथा सारे हिंदुस्तान को मालुम है
तमिलनाडु तक में सलवार कमीज अब सामान्य पहनावा है
पता नहीं उनकी थीसिस कितनी सटीक है
लेकिन भोजन के मामले में उनका तीर सही निशाने पर है
आजकल हिन्दुस्तान में कहीं भी बाहर खाने का मतलब है
तंदूरी रोटी/नॉन ,काली दाल और शाही पनीर
नान वेज का मतलब कबाब और तंदूरी चिकन
होटल का मतलब ढाबा
देश के अलग हिस्सों में स्थानीय भोजन की समृद्ध परंपरा रही है
लेकिन आजकल रंग बदले हैं
मध्य प्रदेश में आप किसी मझोले साइज़ के रेस्तरां में दाल बाफला मांग कर देखिये
मंगलोर में अक्की रोटी और नीरा डोसा पूछिये
लखनऊ में लिट्टी दाल बाटी चोखा के बारे में जानकारी मांगिये
गोवा में कुम्बी दिशेस का पता करिए
मिले न मिले पंजाबी थाली ज़रूर मिलेगी
विदर्भ में सावजी होटल और दक्कन में मिलटरी होटलों में नान वेज खाने का रिवाज रहा है
लेकिन आजकल कहीं इसका ज़िक्र नहीं आता
भोजन भट्ट भी ढाबा पुराण खोल कर बैठ जाते हैं
अस्सी के दशक में रामायण सीरियल ने राम की छवि के लिए जो काम किया था
आप अरुण गोविल की धनुर्धारी छवि से हट कर राम जी की कल्पना नहीं कर सकते
आजकल फिल्मों/मीडिया की मदद से खाने की भी वही हाल है
इसमें हर शहर में खुले मोती महल/शान ए पंजाब जैसे होटलों का भी खासा योगदान है
लगता है जायका बदल रहा है

Saturday, May 30, 2009


नागपुर की यादें
१९८९ में अगस्त की बात है .
श्रीनगर में बैंक में नौकरी कर रहा था
अभी कश्मीर वादी आतंकवाद की गिरफ्त में नहीं आई थी
एक दिन अचानक तार मिला कि नयी नौकरी नागपुर में लग गयी है
पागल खाना चौक के सामने बने संस्थान में २० अगस्त को हाज़िर होइए ,
जहाँ दो साल तक ट्रेनिंग दी जायेगी
उन दिनों संस्थान की पत्रिका 'The File' में गाहे बगाहे स्थानीय भोजनालयों के बारे में लिखता था
आखिरी अंक में सारे होटलों की फेहरिश्त बनाने की कोशिश की ,अगले बैच की मदद के इरादे से
हाल में 'The File' का पुराना अंक मिल गया ,आप भी देखें ,बीस साल बाद इन में से कितने होटल बचे हैं
१. अलंकार- सीता बलडी- ६ रुपयें में विशालकाय पेपर मसाला डोसा मिलता था ,जो दो लोगों के लिए पर्याप्त था
२.अशोका- सदर- मेस बंद होने पर अधिकाँश यार दोस्त यहीं दिखते थे,भुना मुर्ग लाजबाब लगता था
३.अर्जुन- सदर -रस रंजन के शौकीन मित्र इसकी पहली मंजिल पर मिलते थे
४.आर्य भवन- सीता बलडी- शाकाहारी व्यंजन और थाली मिलती थी -पनीर भरता याद है
५.बब्बू का होटल-मोमिन पुरा- सड़क छाप जगह में मटन बिरयानी मिलती थी -स्वाद उम्दा था
६.जगत-सीता बलडी- तीन मंजिले होटल में खाया पाव भाजी और कुल्फी फलूदा याद है
७.नम्रता- सदर में मोतीमहल होटल के पास बना सरदार जी का ढाबा अनादि वर्माजी को काफी पसंद था पंद्रह रुपये में एक प्लेट बटर चिकन मिलता था और २६ रुपये में तंदूरी मुर्ग
८. नानकिंग- -सदर -छोटी सी जगह में चीनी मूल के परिवार का साझा प्रयास
.मोती महल -पारंपरिक पंजाबी खाने का अड्डा- यहाँ खा कर लगता था कि देश में खाने के तेल की किल्लत नहीं है
१०.पर्ण कुटीर- eTHNIC EATERIES का सूत्रधार रेस्तरां -यहां महाराष्ट्रीय थाली में ज्वार रोटी,भाखरी ,पंचामृत सब्जी और कचुम्बर सलाद मिलता था -बाद में होटल के बाहर पान की दूकान पर पक्षियों के आकार के पान खाए जाते थे
बीस साल बाद मित्रों का नागपुर में फिर से मिलने का इरादा है ,देखें क्या कुछ बदला है

Monday, May 18, 2009


MTR में पार्टी
बजट पार्टी हमारे दफ्तर की परंपरा है ,जो वित्तीय वर्ष के पूरे होने पर दी जाती है
मेरे सुझाव पर सहयोगी इसे ८५ वर्ष पुराने MTR रेस्तरां में लंच करने पर राजी हो गए
आखिर बंगलोर के इस लैंडमार्क रेस्तरां में भोजन करना सबकी दिली ख्वाहिश रहती है
१९२४ में मैया बंधुओं द्वारा स्थापित यह भोजनालय इस पीढी में हेमामालिनी मैया बखूबी चला रहीं हैं
उदिपी ब्राह्मण शैली के भोजन की परंपरा जारी है
पुरानी दो मंजिला बिल्डिंग के आगे घंटों कतार लगती है
भोजन अनुरागी ग्राहकों की ,जो इसके भोजन की शुद्धता के कायल हैं
अंदर दीवारों पर रवि वर्मा के तेल चित्र
लगता है कि दुनिया कहीं थम सी गयी है ,कुछ भी बदला नहीं
फर्नीचर के नाम पर लाल प्लास्टिक की कुर्सियां
वेटिंग वाले सज्जन लकडी की बेंच पर बैठे अपनी बारी का इंतज़ार करतें हैं
घुटनों तक मोड़ी धोते पहने ब्राह्मण वेटर जनेऊ का विज्ञापन करते प्रतीत होते हैं
पुरानी दो मंजिला बिल्डिंग के आगे घंटों कतार लगती है गुणी ग्राहकों की
जो इसके भोजन की शुद्धता के कायल हैं
उन्हें इंतज़ार रहता है शुद्ध घी में पके भारी भरकम मसाला डोसा का
सूजी की बनी रवा इडली का ,जिसके साथ पाल्या (गीलीसब्जी) मिलती है,साम्भर नहीं
मीठे के लिए केसरी बाथ और बादाम हलवा
साथ में चाँदी के ग्लास में फिल्टर काफी
आपातकाल के दौरान जब सरकार ने फ़ूड कण्ट्रोल एक्ट के तहत
इडली/वड़ा, डोसा के रेट ज़बरदस्ती कम कर दिए थे ,
तो इस कीमत पर अपनी गुणवत्ता से समझौता करने के बजाय मालिकों ने होटल बंद कर पिसे मसालों की दूकान खोल ली ,जो आज एक अलग बड़ा व्यवसाय है
लेकिन लंच के समय केवल थाली मिलती है
उस दिन शुरुआत हुई चाँदी के ग्लास में अंगूर के रस से
फिर चाँदी कि थाली मैं सबसे पहले कसुम्ब्री- भीगी मूँग की दाल का सलाद आया
बारी थी सादे दोसे की ,जिसे नारियल की चटनी के साथ परोसा जा रहा था
दोसे वाली आलू की सब्जी की जगह दो तरह का सूखा पाल्या आया .
घिसे नारियल के मसाले में पकी पत्ता गोभी और बीन्स की सब्जियां ,जिसमे राई का बघार लगा था
नया अनुभव था इस तरीके से डोसा खाना
अब बारी थी पुलाव की -आज के दिन कर्णाटक का विशिष्ट व्यंजन बीसी बेले बाथ -साथ में खीरे का रायता और आलू चिप्स , मसालेदार गरमा गर्म पुलाव खाकर मीठे की तलब हुई
ताज़ा बनी जलेबी और खीर जैसी पायसम हाज़िर थी
इसके बाद चावल के साथ साम्भर और रसम
अंत में MTR का प्रसिद्ध कर्ड राइस ,जिसमे अनार के दाने दिख रहे थे ,स्सथ में निम्बू का अचार
अभी चाँदी की कटोरी में fruit सलाद के साथ वनिला आइस क्रीम भी आनी बाकी थी
फिर आखिर में पान
सहयोगी खुश थे ,अगला वित्तीय वर्ष भी अच्छा बीते

Tuesday, May 12, 2009


वाह ला पिआजा
अगर गाँधी परिवार को दिल्ली में अच्छा इटालियन खाना चाहिए
तो दिल्ली के hyatt होटल के 'ला पिआजा ' रेस्तरां में ही जाना पड़ता है
आखिर लगातार दो सालों से इसे दिल्ली के सर्वश्रेष्ट इटालियन भोजन का खिताब मिल रहा है
गुणी जन तो इसे हिंदुस्तान के सबसे बढ़िया इटालियन भोजन का अड्डा बतातें हैं
पांच तारा होटल के अन्दर बने इस रेस्तरां में यूरोपीय sidewalk कैफे जैसा माहौल है
बीचो बीच बने लकडी के कोयले के ओवेन में शेफ लोग पिज्जा लगाते दिखते हैं
ढेर सारे विदेशी ग्राहकों की उपस्थिति विश्वास दिलाती है कि अच्छे इटालियन खाने की तलाश में
हम लोग सही जगह पहुँच गएँ हैं
वैसे तो पूरे देश में तंदूरी और चीनी खाने के बाद अब इटालियन खाने की धूम मची हुईं है
हर गली के नुक्कड़ पर मिलने वाले अमूल पिज्जा की तरह
मध्यवर्गीय शादियों में भी live पास्ता काउंटर का हों अनिवार्य सा हैं
जहाँ टमाटर के लाल सॉस या क्रीम /चीज़ के सफ़ेद सॉस में
बेबी corn, पेप्पर,मशरूम और broccoli जैसी विदेशी सब्जियां तली जाती हैं
और आपकी प्लेट में गार्लिक ब्रेड या ओलिवे आयल में भीगे toast के साथ पेश की जाती हैं
आप भी खुश,मेजबान भी खुश
लेकिन इटालियन भोजन में पास्ता /पिज्जा से आगे भी बहुत कुछ है
इसमें इटली के अलग अलग क्षेत्रों (जैसे सिसिली) के अलावा रोमन /मुस्लिम सांस्कृतिक जीवन की छाप भी है
mediterrean समुद्र के पास होने से समुंदरी मछली और जैतून के तेल के प्रयोग से खाने की अलग रंगत है
यहाँ पर खाना कई कोउर्सेस में पेश करते हैं (भारत में बंगाली भोजन की तरह)
सबसे पहले antipasti, - भोजन से पहले शुरुआती व्यंजन
जिसमें cured meats, ऑलिव्स , भुने लहसुन , pepperoncini, मुशरूम्स , anchovies, artichoke hearts, तरह तरह की चीज़ ,peperone (marinated small green bell peppers)
इस सबमें ओलिवे आयल का प्रचुर मात्रा में इस्तेमाल होता है
इसके बाद primo - first course आता है जो पेट भरने वाली महत्वपूर्ण डिश होती है
जैसे risotto (खिचडी जैसी) या pasta,gnocchi, polenta या soup.
"second course",में मांस या मछली की बनी कोई डिश होती है
"side डिश". में हरा भरा सलाद या हलकी तली सब्जियां मिलती हैं
आखिर में मीठे के नाम पर पहले चीज़, कटे फल फिर केक और कुकिएस
आखिर में काफ़ी
हम लोग तो ला पिआजा के ओवेन से मंत्र मुग्ध थे
उसमे ताजा bake किये हुए बन(Focaccia )के साथ कटे टमाटर,पिसे लहसुन का olive आयल में पगी चटनी जैसी साइड डिश बार बार खाते रहे
यह complementary था
साथ में पतली margherita पिज्जा ,हलकी भुनी सब्जियां
और दो पास्ता की डिश (spaghetti और penne ) मगायीं गयीं
भोजन दिव्य था ,पर ऐतिहासिक नहीं
पांच लोगों का बिल ३८९२ रुपये का था
अब पता चला कि इस होटल में विदेशी ग्राहक ही क्यों ज्यादा आते हैं

Sunday, April 26, 2009


बंद हो रहीं हैं किताबों की दुकानें

अभी दिल्ली के श्रीराम सेंटर के वाणी प्रकाशन दुकान बंद होने के सदमे से उबर नहीं पाया था
पता चला कि बंगलोर की प्रिमिएर बुक शॉप भी बंद हो रही है
चर्च स्ट्रीट पर ६०० sqft की छोटी सी दुकान में पचास हज़ार किताबें बेतरतीबी से रखी/ठुंसी पड़ी थी
38 साल पुरानी इस दुकान में न तो काफी मिलती थी ,न संगीत की CD या ग्रीटिंग कार्ड
कंप्यूटर भी नहीं था
आज जब हर माल में बनी airconditioned बुक शॉप में कंप्यूटर लगें हैं
शायद ही किसी सहायक को यह भी पता होता है कि अमुक किताब उसकी दुकान में है भी या नहीं
पर प्रिमिएर के मालिक टी एन शानबाग को अपनी दुकान के हर कोने में रखी हर किताब की जानकारी थी
अपनी जिंदगी में इतना सुसंस्कृत,शालीन पुस्तक प्रेमी मालिक मैंने नहीं देखा
१९९१ में पहली बार इस दुकान में कदम रखा था किसी दुर्लभ किताब की तलाश में
शानबाग साहब ने न केवल किताब ढूंढ़ निकाली बल्कि उस लेखक की कई ऐसी किताबों के बारे में बताया जिन्हें मैं जानता भी नहीं था
बिल बनाते समय बिना मांगे १०% discount भी दे दिया
मैं अभिभूत था
दुकान किराये की थी ,बढ़ता किराया न दे पाने में असमर्थ शानबाग साहब ने प्रिमिएर बुक शॉप को बंद कर
अपनी बेटी के पास ऑस्ट्रेलिया में बसने का इरादा कर लिया है
अगर इस देश में सम्मान सही लोगों को दिए जाते
तो ३८ सालों तक पुस्तक प्रेमियों की सेवा के लिए इन्हें पद्म श्री से नवाजा चाहिए था

हाल में भोजन पर आधारित तीन किताबें पढ़ी
चित्रीता बनर्जी की 'Bengali Cooking: Seasons and Festivals '
बंगलादेशी मुस्लिम परिवार में ब्याही भद्र महिला ने बंगाल के दोनों भागों के भोजन और रस्मो रिवाज का रोचक चित्रण किया है ,पर इनकी संपादित 'EATING इंडिया' बेकार लगी
पुरानी दिल्ली के कायस्थ परिवार की दो बहनों की किताबें
शीला धर की 'रागा न जोश' और मधुर जाफरी की 'CLIMBING THE MANGO TREES'
एक ही समय को दो बिलकुल अलग नज़रिए से देखती हैं
शीला धर की किताब ज्यादा रोचक है, संगीतकारों की निजी जिंदगी के अनमोल वर्णन हैं
अब इंतज़ार है जिद्दु कृष्णामूर्ति के सहायक रहे MiCHAEL kROHNEN की 'THE kitchen chronicles' की
अगर प्रिमिएर बुक शॉप खुली होती तो शानबाग साहब ज़रूर खोज निकालते

Sunday, April 19, 2009

महानगर में भूखे पेट
जब अखबार और टीवी चैनल बड़े शहरों के नए रेस्तौरंतों की चटखारे वाली खबरों से पटे हैं
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी 'हर्ष मंदर' ने 'हिन्दू' अखबार में बेसहारा लोगों की एकाकी ज़िन्दगी की भयावह तस्वीर खींची हैं पटना , दिल्ली , मदुरै और चेन्नई की सड़कों पर पिछले दो सालों में बेघर लोगों के सर्वेक्षण से
यह साफ़ है कि मजबूर लोग किसी की दया या मेहरबानी पर जिंदा नहीं रहना चाहते
बीस फीसदी लोग भूखे रहते हैं पर किसी रिश्तेदार या मंदिर की सीढियों पर हाथ फैलाते नजर नहीं आते
महानगरों की जगमगाती रोशनी के बीच ये भूखे चेहरे आपको शायद नहीं दीखते
मध्य वर्ग के सुरक्षा कवच में बैठे हम आप इन बेसहारा लोगों को निगाह से दूर रख कर भूल जाना चाहतें हैं
बड़े लोगों की नज़र में सड़क के किनारे पड़े ये लोग नए भारत की चकमक छवि पर धब्बा हैं
ज्यादातर बेघर बच्चे भोजन खरीद कर खातें हैं

बुरे दिनों में दरगाह,गुरुद्वारा या मंदिर का प्रसाद इनका सहारा बनता हैं
छोटे बच्चे कूड़ेदान में खाना खोजने को अभिशप्त हैं
एक बेसहारा महिला हर सुबह दो रुपये की चाय पीकर कूड़े /फटे कपडे खोजने निकल जातीं हैं
दिन भर की हाड तोड़ मशक्कत के बाद अगर आमदनी हुई तो
आठ रुपये में सड़क के किनारे पर ठेले वाले से एक प्लेट चावल दाल और सब्जी खरीदती हैं
शाम को तीन रोटियां छह रुपये में मिल जाती है
ये सब कुछ तीस रुपये की औसत आमदनी से निकलना पड़ता है
. कभी कभी होटलों के बाहर समोसों के टुकडों या बिस्कुट से काम चलाना पड़ता है
कई दिन एक बार भी भोजन मुश्किल से मिल पाता है
बड़े शहर की निर्मम ज़िन्दगी का एक पहलू
हर्ष मंदर साहब को साधुवाद

Wednesday, April 8, 2009


पनीर पुराण
जब इंगलैंड की राष्ट्रीय डिश के रूप में 'चिकन टिक्का मसाला' को मान्यता मिल चुकी है
क्यों न भारत की सबसे पसंदीदा डिश का खिताब 'पनीर बटर मसाला' को दे दिया जाये
आखिर हिंदुस्तान के हर कोने में यह मिल जाती है
बनाने का तरीका चाहे जो हो , दिखती एक जैसी है
लाल टमाटर के सास में पके पनीर के टुकड़े
उसमें मक्खन और फ्रेश क्रीम का समावेश
अदरक लहसुन और काजू के पेस्ट का असर भी दिखता है
सजावट के लिए हरी धनिया के पत्ते
रोटी या नॉन के साथ लुत्फ़ उठाईये
इस डिश में कुछ तो ख़ास होगा जो हर ढाबे /रेस्तरां के मेनू में होना इसका लाजिमी है
सुना है कि एक बार जब भोजन भट्टों के आध्यात्मिक गुरु उदिपी पधारे थे
उनके स्वागत में जब 'पनीर बटर मसाला' पेश की गयी
तो उन्होंने मालिक से पूछा क्या आप लोग भी इस industrial waste को खाते हैं
जवाब मिला कि हम लोग तो खुद नीर डोसा और सूखा चिकन (मसाले में भुना हुआ) खाने वाले हैं
आप को भी हम पेश कर देते
पर दिल्ली से आये हुए गेस्ट इसके बिना संतुष्ट नहीं होते
मेरा निजी अनुभव भी कुछ ऐसा ही रहा है
बचपन में छेने की सब्जी शादी ब्याह के भोज में खायी थी
पर पनीर का प्रचलन तब नहीं था
शायद अमूल डेरी की दुग्ध क्रांति का असर उत्तर प्रदेश के शहरों तक नहीं पहुंचा था
लेकिन नौकरी में आने के बाद लगा
पंजाब /हरियाणा और दिल्ली में किसी शाकाहारी आदमी के लिए
पनीर की सब्जी खाने के बिना जीना असंभव है
बंगलोर में १९९१ के दौरान दफ्तर के मुलाजिम पनीर की गुणवत्ता से अनभिज्ञ थे
लेकिन अब तो हर जगह पनीर उपलब्ध है
अपने अनेक रूपों में
मुझे भी आदत डालनी पड़ेगी

Monday, March 23, 2009


बिसी बेले भात यानी गरमा गरम दाल चावल
हम चार मित्रों की नई नई शादी हुई थी
तय किया गया कि बारी बारी से हरेक के घर भोजन का कार्यक्रम रखा जायेगा
इसी बहाने सबकी मेल मुलाकात भी बनेगी
इस कड़ी में पहल की आंध्र प्रदेश के साथी ने
उनक पत्नी कर्णाटक की थीं
भोजन की मेज पर पूरी आलू के साथ राइस कुकर भी रखा था
सोचा शायद पुलाव या तहरी बनी होगी
लेकिन ढक्कन खुलने पर साम्भर के मसाले सी खुशबू आई
झाँका तो दाल चावल और सब्जिया दिखीं
ऊपर से भुने काजू और मूंगफली भी नज़र आई
करी पत्ता और राई की छौंक लगी थी
ऊपर से आलू के चिप्स डाले हुए थे
प्लेट में डाला तो सारा कुछ गीला सा लगा
सोचा ज्यादा पानी डल गया होगा
लेकिन स्वाद अदभुत था
बिसी माने गरम ,बेले माने दाल और भात यानी चावल
गरमा गरम दाल चावल सब्जी की इस डिश का जायका ज़बान पर जो चढा
तो हर शादी /दावत में इंतज़ार रहता था कर्णाटक की इस यादगार डिश का
इस रविवार घर पर बनायीं गयी यह डिश
राइस कुकर को चावल, दाल, कटी हुई सब्जिया ,साम्भर पाउडर, इमली का रसा ,घी और ढेर सारा पानी डाल कर बंद कर दिया गया
एक घंटे बाद छौंक लगा कर खीरे के रायता के साथ इसका लुफ्त उठाया गया
रविवार की छुट्टी सार्थक रही

चित्र साभार

Tuesday, March 10, 2009


तमिलनाडु में होली
यहाँ होली की कहानी अलग है
केरल और तमिलनाडु में होली के अलग नाम हैं
Kamavilas, Kaman Pandigai and Kama-Dahanam.
मान्यता है कि इस दिन शिवजी ने कामदेव का वध कर दिया था
अपनी तीसरी आँख खोलकर
लेकिन फिर कामदेव की पत्नी रति की याचना पर कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया था
लोग रति के दुःख में दर्दभरे गीत गाते हैं
चन्दन का लेप लगाते हैं
आम के बौर/पुष्प प्रतिमा पर समर्पित करते हैं
नृत्य की भी परंपरा है
अब यहाँ भी गुजिया मिलने लगी है
देश के इस भाग से
होली की शुभकामनाएं

Tuesday, March 3, 2009


हवाई भोजन
इस बार जेट एयरलाइन्स की उडान में जब खाने की प्लेट में
रोटी, अरहर की दाल और आलू मेथी की सब्जी दिखी ,साथ में एक हरी मिर्च थी
तो सुकून हुआ कि देर से ही सही
एयरलाइन्स अब भारतीय ग्राहक की पसंद समझने लगी हैं
जिन लोगों को अक्सर हवाई यात्रा करनी पड़ती है
उन्हें हवाई भोजन का शुरूआती आकर्षण ख़त्म हो जाता है
यह बात भी समझ में आ जाती है
कि घंटों पहले बना हवाई भोजन ताजा तो नहीं होगा
फ्रीज़र से निकल कर ओवेन में गर्म होने तक वह बहुत स्वादिष्ट भी नहीं रह जाता है
हवाई जहाज के केबिन का ख्याल कर राजमा /चने पेश नहीं किये जाते
रहता है तो बस इंतज़ार कि इस बार शायद कुछ नया दिखे
kingfisher एयरलाइन्स जब शुरू हुई थी तो ५ स्टार खाने की बात हुई थी
अजीब तरह के प्रयोग दिखे
थाई खाने से लेकर चाट/पकोड़ी तक
अब मंदी के दिनों में मेनू कार्ड भी नहीं मिलते
जेट की यात्रा में चॉकलेट truffle केक मिलता था
उसका स्थान अब खीर/सेवईओं ने ले लिया है
cutlery crockery में जेट और kingfisher बराबर सी हैं पर भोजन जेट का बेहतर है
सामान्तया पहले निम्बू पानी मिलता है फिर आम तौर पर
ऐसा कुछ मिलेगा
mixed salad, palak paneer , kadahi vegetables yellow rice, raita , pickle, bread rolls.
मीठे में केक/रबडी/फिरनी/गुलाबजामुन अक्सर रहतें हैं
इंडियन एयरलाइन्स की दार्जिलिंग चाय का जवाब नहीं
सुबह के नाश्ते में उपमा/उत्तपम/डोसा साम्भर भी मिलतें हैं
शाम की चाय के साथ पाव भाजी/पनीर टिक्का /आलू बोंडा / हरा भरा कबाब भी खाएं हैं
हवाई भोजन की दो यादें नहीं भूलतीं
एक बार MODILUFT की सुबह सात बजे की flight में लोगों का बार बार बियर मांगना
उन दिनों रस रंजन की अनुमति थी
दूसरा सहारा एयरलाइन्स का खाना
एक घंटे से कम की उडान पर पांच तारा भोजन
मखनी मुर्ग और काली दाल ,शाही पनीर ,गुलाब जामुन
शायद इसी लिए सहारा नहीं चली
मुझे तो बहुत पसंद थी
चित्र साभार

Sunday, February 22, 2009






तीन देवियाँ
आजकल छोटे परदे पर इनका कब्जा है
रात के दस बजे discovery Travel & Living channel के कार्यक्रमों में जब ये देवियाँ अवतरित होती है
तो हमारे जैसे भोजन प्रेमी दिल थाम कर बैठ जातें हैं
सबसे पहले अंजुम आनंद

भारतीय मूल की ३५ वर्षीया महिला के बीबीसी टीवी पर पेश होने वाले कुकरी शो के कई दीवाने हैं
पंजाबी परिवार में पली बढ़ी सो उसका स्वाद इनके खाने में ज़रूर नज़र आता है
और फ़िर बंगाली ससुराल के व्यंजनों से परिचय होने का लाभ इनके कार्यक्रम में साफ़ दिखता है
मधुर जाफरी के कार्यक्रमों की तर्ज़ पर बनाए गए इनके शो काफी आगे निकल गएँ हैं
कई बार तो ब्रिटिश दर्शक भी इनके बनाए चिकन टिक्का मसाला को खाते दिखतें हैं
भोजन भट्ट परिवार इनके FAN क्लब का सदस्य है

दूसरा नाम है चीनी मूल की Kylie kwong का

चाहे Hong Kong और Beijing के महंगे होटल हों
या Guangdong में अपने पैत्रिक गाँव में घरेलू चीनी व्यंजन बनाती इस महिला का जवाब नहीं
चीनी भोजन इतनी सरलता से बन सकता है ,यह देखना चाहिए

लेकिन टीवी पर भोजन की मलिका हैं Nigella Lawson
इनके कुकरी शो को कुछ लोग food पॉर्न भी कहतें हैं
चाहे क्रिसमस केक बनाना हो या सब्जियों का सलाद
इतने उत्साह से खाना बनाते और बीच में उसका स्वाद लेते इन्हे देखना एक दिव्य अनुभव है
CHOCLATE केक को उँगलियों से चाटते इनका उत्साह देखने के काबिल है
इस उमर में भी बच्चों सी सरलता नज़र आती है
हम लोग तो इन देवियों के भक्त हैं

Monday, February 9, 2009



बढ़ रही है भूख -कब होगा bailout

जबसे ओबामा साहब ने राज संभाला है
हर दिन कोई इंडस्ट्री के महापुरुष कटोरा लिए bailout पैकेज मांगते दिखते हैं
मोटर कार बनाने वाले फोर्ड साहब,सिटी बैंक समूह के बड़े बैंकर कतार में लगें हैं
सुना है अमरीकी पॉर्न इंडस्ट्री के मालिकान भी मदद मांग रहें हैं
ओबामा साहब की कृपा दृष्टि का इंतज़ार है
इसीकी तर्ज़ पर बाकी मुल्कों में भी bailout पैकेज बंट रहें है
लेकिन इस बंदरबांट में दुनिया में भूख से मारे लोगों पर किसी की नज़र नहीं पड़ती दिखती
खाद्य पदार्थों की बढती कीमतें ज़मीनी सचाई हैं
मंदी के दौर में बेरोज़गारी से उपजी गिरती क्रय शक्ति भी कड़वा सच है
दार्फुर, सूडान, सोमालिया दूर लगतें हों तो महाराष्ट्र के गडचिरोली जिले में मेलाघाट देख लें
आदिवासी समाज किस खुराक पर जीने को मजबूर हैं
आप देख सकतें हैं
बाल कुपोषण समस्या के आंकडे कुछ भी बताएं ,चित्र झूट नही बोलते
दरअसल पिछले कुछ दशकों में खेती किसानी का दम निकल गया है
रामधन जैसे बैल बेच कर ईंटे के भट्टों पर मजदूरी करने को मजबूर हैं
कृषि क्षेत्र में मजदूरी उस अनुपात में नहीं बढ़ी ,
कृषि जिन्स की वाजिब कीमत बाज़ार में मिलती नहीं
खाद से लेकर बीज के दाम बढ़ते जा रहें हैं
विदर्भ से पंजाब तक किसानों की आत्म हत्या की खबरें आती रहती हैं
खाद्य पदार्थ की कीमतें दुनिया की बड़ी फर्में और नए सट्टा बाज़ार तय करतें हैं
ज्ञानी लोग कहतें हैं कि इन्टरनेट की मार्फ़त ऑप्शन्स मार्केट में किसानों को उतरना चाहिए
इस माया जाल से बाहर आइये हुज़ूर
भूख और कुपोषण से हारी आधी दुनिया पर भी किसी का ध्यान जाएगा क्या
हमें भी bailout की ज़रूरत है
जिससे जिंदा तो रह सकें इस दौर में

Monday, January 26, 2009





मददुर वडे की तलाश में
किसी भी आम उडुपी होटल में मेडू वड़ा/ दाल वड़ा/ उद्दीन वड़ा मिल जाता है
उरड की दाल से बने वडे साम्भर के साथ अच्छे लगतें हैं
लेकिन मददुर वडे खास जगहों में ही मिलते हैं
कर्नाटक में वैसे तो लगभग हर जगह मिल जातें हैं
लेकिन अगर कभी बंगलोर- मैसूर ट्रेन से जायें
तो बीच रस्ते में एक छोटा स्टेशन पड़ेगा मददुर
जहाँ ट्रेन तो शायद दो मिनट ही रुकेगी
लेकिन डब्बे लिए हाकरों की ' वड़ा , वड़ा मददुर वड़ा ' की आवाजों से आप बेसब्र होकर एक या दो वडे ज़रूर खरीदेंगे
फिल्टर काफ़ी का भी एक कप साथ में लीजिये
यात्रा सफल हो जायेगी
स्वाद निराला है ,सूजी और मैदे के बने इन कुरकुरे वडे में मूंगफली और तली प्याज का जायका मिलेगा
शायद पुदीने का भी पुट हो ,नारियल की चटनी के साथ साथ लुत्फ़ उठाइए
इन्हें बंद डब्बे में कुछ दिन तक रखा भी जा सकता हैं
मैसूर जाने वाले सैलानियों के लिए मददुर रुकना ज़ुरूरी होता है
बंगलोर से निकलने पर पहले रामनगरम आएगा
जहाँ शोले फ़िल्म की शूटिंग हुई थी
फ़िर मददुर से मंड्या जिले में आप प्रवेश करेंगे
मंड्या जिला गन्ने की पैदावार में आगे हैं
यादव राजनीति में मधेपुरा की जो महत्ता है ,
वोक्कालिगा ( कर्नाटक की ज़मीन से जुडी गौडा जाति) राजनीति में मंड्या का वही मुकाम है
लेकिन हम तो चले थे असली मददुर वडे की तलाश में
बंगलूर /मैसूर राजमार्ग की दायीं तरफ़ पुरानी दुकान है
'मददुर तिफ्फ़नी ' ,कोई ख़ास जगमगाहट नहीं दिखेगी
लेकिन काउंटर पर शीशे के डब्बे में मददुर वडे दिखाई देंगे
ऊपर नज़र मारिये
मद्दुर वडे बनाने की परम्परा की शुरुआत करने वाली अम्मा के चित्र पर माला टंगी है
हम ठीक जगह पहुँच गए थे
कर्नाटका भोजन की थाली में चुकंदर और चने की सूखी सब्जी सबको भाई
थाली के साथ भी मददुर वडे खाए
बाद में घर के लिए भी पैक करा लिए
हथेली की साइज़ का एक
दस रुपये प्लेट के रेट से
अगले दिन तक मज़ा आया

Monday, January 12, 2009




मीठी खिचड़ी
सरकारी नौकरी के कई फायदे हैं
मकर संक्रांति का त्यौहार कैसे मनाया जाएगा ,आपकी पोस्टिंग पर निर्भर है
उत्तर भारत में पोस्टिंग हो तो खिचड़ी ,तहरी बना लीजिये
पंजाब में है तो लोहड़ी मनाइए
दक्षिण भारत में रहने का अवसर मिले तो पोंगल के कार्यक्रम में हिस्सा लीजिये
उत्तर भारत में खिचड़ी के पहले लाई ,चूरा ,गट्टा ,चीनी के खिलौनों खरीदने की यादें ही बचीं हैं
बचपन में भाड़ में दाने भुन्ज्वाना और हलवाई के यहाँ चीनी देकर उसके बने खिलौनों लेना
प्रयाग राज में संगम पर स्नान का संकल्प (जो शायद ही कभी पूरा हुआ हो )
होस्टल में मेस के महाराज का दोने में पुरी आलू सर्व करना
जालंधर में लोहड़ी की ठण्ड में bonfire में मूंगफली डालना
मित्रों से 'दुल्ला शाह' डकैत के अच्छे कामों की कहानी सुनी थी इस दिन
अगले दिन माघी पर्व पर अखंड पाठ और लंगर
दक्षिण भारत में पोंगल का लंबा कार्यक्रम रहता है
कर्नाटक में संक्रांति के दौरान मित्रों को Yellu, Sakkare Achchu,( तिल , गुड ,सूखा नारियल और मूंगफली का मिश्रण )देने की प्रथा है
Sakkare पोंगल (मीठी खिचड़ी) जरुर बनातें हैं
तमिलनाडु में पॉँच दिन तक पोंगल की खुशियाँ जारी रहती हैं
तमिल मास 'थाई' में आने पले इस पर्व के दौरान चार दिन तक खाने पीने का दौर चलता है
पहले दिन भोगी के दिन - 'ven pongal' (नमकीन खिचड़ी) अगले दिन 'Surya Pongal' -Sakkare पोंगल (मीठी)
तीसरा दिन 'Mattu Pongal' -किसानों और गाय- गोरु की पूजा का दिन
चौथे दिन Kaanum पोंगल मानते हैं जब लोग परिवार , मित्र जनों से मिलने जाते हैं -कौवों ,चिडियों के लिए चावल डालने का भी रिवाज़ है
हम लोगों को तो नए गुड और नए धान की Sakkare पोंगल (मीठी खिचड़ी) खूब भाई
हर साल मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी, तहरी के साथ इसका बनना भी ज़रूरी है
चनेकी दाल से बने वाली इस मीठी खिचड़ी का स्वाद निराला है
आप भी बना कर देखें
(Recipes on www.bhojanbhattkirasoi.blogspot.com)

Friday, January 9, 2009




डबल बीन्स का मेला

गुरूवार की छुट्टी थी
जब संगिनी से पूछा कि सिनेमा हॉल में गजनी फ़िल्म देखने चलना है या
सज्जन राव सर्कल चलें अवरेकई (डबल बीन्स) का मेला देखने
तो उन्होंने भोजन भट्ट की आशा के अनुरूप जवाब दिया
"मैं तो ख़ुद अवरेकई खरीदने के बारे में सोच रही थी ""
दिल बल्ले बल्ले करने लगा


अवरेकई हरी फली के परिवार की सेम जैसी सब्जी है
जो हरी मटर की तरह जाडों में फलती है
अन्दर की फली को बोल चाल की भाषा में डबल बीन्स कहतें हैं
पुराने दिनों में जाडों के मौसम में लोग धूप खाते हुए इसे छीलते थे
फली का व्यंजन बनाते थे, छिलके गाय गोरु को डाल देते थे
उत्तर भारत में मटर की छिम्मी की तरह
मकर संक्रांति के दौरान पुराने मैसूर राज्य में रागी मुद्डे के साथ अवरेकई का साम्भर बनता था
आजकल मकर संक्रांति से पहले पखवाडे में पुराने बैंगलोर के सज्जन राव सर्कल पर यह मेला लगता है
आखिर कार बंगलोर शब्द बना है कन्नड़ शब्द बेन्दकलूरू से जिसका अर्थ है City of Boiled Beans
तो लोगों से रास्ता पूछते हम लोग पहुँच ही गए डबल बीन्स का मेला
मेला जैसी भीड़ भाड़ नही थी ,
एक दुकान (Vasavi Condiments)के सामने शामियाना लगा था
कतारबद्ध लोग कूपन खरीद रहे थे ,हाथों में झोले थे
तवे पर डोसा तले जाने की खुशबू आ रही थी
दुकान से ताजी/ छिली अव्रेकालू बीन्स २५-३० रुपये फी सेर खरीदी जा सकती
हमने दोनों तरह की खरीदी ,सोचा साम्भर और बिसी बल्ले बाथ (चावल दल और सब्जी को मिला कर बनने वाला क्षेत्रीय व्यंजन) बनायेगें
फ़िर चले खाने के स्टाल्स की तरफ़
बोर्ड पर लिखा वड़ा, avrekai डोसा , पूरी और avrekai सागू ,obbatu avrekai के आटे से बना ओब्बतु (मीठा पराठा -गुड का बना ) , अवरेकई उपमा, अवरेकई ginnu (दूध से बनी मीठी डिश )
हर डिश बीस रुपये से कम की थी उपमा और वड़ा दस रुपये प्लेट थे ,डोसा बीस रुपये का था
हमने avrekai डोसा और वड़ा लिया
वड़ा डाल वड़ा की तरह था,अन्दर avrekai पड़ी थी ,चटनी नहीं मिली
पर असली आनंद आया गरमागरम डोसा खाने में
उत्थापम की तरह बने दोसे के ऊपर हरी अवरेकई की फली और प्याज का कुरकुरा मिश्रण पड़ा था
साथ में अवरेकई से बनी गरम साम्भर
बिटिया रानी के लिए उपमा और वड़ा पैक करा लिया
उन्हें मेले ठेले से डर लगता है
फ़िर सोच अन्दर दुकान में नज़र मार लें ,आख़िर इतनी भीड़ क्यों है
वहां बाल्टियों में अवरेकई के बने नमकीन भरे थे
जिन्हें खरीदने के लिए लोग बेकाबू हो रहे थे
हमने भी निपट्टू (अवरेकई भर कर बना मठरी जैसा नमकीन ) ख़रीदा
जाडे की इस फली का इंतज़ार रहेगा

Monday, January 5, 2009




बिटिया रानी का टिफिन

संगिनी को सदा यह शिकायत रही है कि मैं बिटिया का टिफिन कुछ ज़्यादा ही ठूंस कर भर देता हूँ
दरअसल बिटिया रानी के नर्सरी स्कूल शुरू करने के दिन से ही यह जिम्मेंदारी ले ली थी
कि हर सुबह उसका टिफिन मैं ही पैक किया करूंगा
जिसे खुशी खुशी निभाया भी है
एक साल के दिल्ली के 'वन वास' के सिवा
पर वहां से भी मैं हर शाम पूछ ही लेता था कि कल के टिफिन में क्या है
इसलिए आज मधुर जाफरी की आत्मकथा '‘Climbing a mango tree’ में उनके तीन डब्बों वाले टिफिन के बारे में पढ़ कर खुशी हुई कि चालीस के दशक में भी दिल्ली में स्कूली बच्चे नाश्ते में कोरमा ,रुमाली रोटी भी ले जाया करते थे
हम चारो भाई बहन तो पराठा,आलू की सब्जी /पूरी आलू के सिवा कुछ और टिफिन में ले गए हों ,अब याद नहीं
यह सहूलियत बिटिया रानी के साथ नहीं थी
दक्षिण भारत में पल बढ़ रहीं थीं , शायद इसलिए पूरी पराठे के स्वाद से कोई रिश्ता नही बन पाया था
नर्सरी स्कूल के दिनों में ब्रेड जैम से काम चल जाता था
पर वे ज़ल्दी इससे बोर हो गयीं ,दूसरे हर रोज़ ब्रेड देना कोई स्वास्थ्यवर्धक बात नहीं लगती थी
अब क्या किया जाए
सुबह पन्द्रह मिनट में कौनसा नाश्ता बनाया जाया जो उनको पसंद भी हो,
'Junk food ' की श्रेणी में भी न आता हो ,
साथ में ठंडा होने पर नूडल्स और पिज्जा/पास्ता की तरह अखाद्य न हो जाता हो
सहपाठियों के टिफिन के निरीक्षण से पता चला कि वे ‘lemon rice’ तथा ‘puliyogre’ लाते थे
इसे बनाने का तो बड़ा सरल तरीका था
सुबह आधी कटोरी चावल बना लीजिये ,उसे बघार लगा कर छोंक लीजिए
ऊपर से निम्बू का रस या पुलियोग्रे (इमली/गुड ) का रेडी मेड पेस्ट मिला लीजिए ,नाश्ता तैयार है
(recipes on www.bhojanbhattkirasoi.blogspot.com)
लेकिन हर दिन मसाले वाले चावल नही जमते
सूजी का उपमा और चावल की सेवयिओं का उपमा ख़ास रास नहीं आया
शयद सब्जियां डालने के हमारे आग्रह से स्वाद में वो बात नही रहती थी
फ़िर बिना मटर डाले 'पोहा' और साथ में मसालेदार चने की घुघनी आजमाई गई
यह हिट रेसिपे थी ,सहपाठियों के घरों से बनाने की विधि जानने के लिए फोन आने लगे
जालंधर प्रवास का इतना फायदा हुआ कि रोटी/भरवां पराठे अब वर्जित पदार्थों की श्रेणी से बाहर आगये
सो कभी कभार रोटी के अन्दर भुने/तले पनीर के ऊपर प्याज के लच्छे डाल कर 'काठी रोल ' का शाकाहारी संस्करण बन जाता है
जाड़े में गोभी/आलू प्याज के पराठे भी चल जातें हैं बशर्ते साथ में लहसुन / आम का अचार हो
अचार पर्याप्त मात्र में रखा जाता है ,क्लास की और लड़कियों के लिए भी
लेकिन अक्सर ब्रेड/बर्गर के बीच खीरा,प्याज,पनीर रख कर संदविच भी बना ली जाती है
स्कूल में दो बार छुट्टी होती है ,इसलिए दो टिफिन ज़रूरी हैं
हफ्ते में एक बार इडली/डोसा/उत्थपम भी बनाने का प्रयास रहता है
एक बार दोसे का मिश्रण बन जाए तो उसीसे एक दिन इडली,अगले दिन सादा डोसा और अगले दिन प्याज वाला उत्थपम भी बन जाता है
चने की दाल की चटनी और टमाटर के अचार साथ जायका अच्छा बनता है
आजकल शोध जारी है

Saturday, January 3, 2009



पिजा वाली दादी

नए साल में अच्छी ख़बर
पिज्जा बेचकर बनाया वृद्धाश्रम
बेंगलूर की दो वृद्धाओं ने समाजसेवा के उद्देश्य से वृद्धाश्रम बनाने का सपना पाला और फिर पिज्जा बेचकर इसे सच भी कर दिखाया। पिज्जा दादी के नाम से मशहूर 73 वर्षीय पद्मा श्रीनिवासन और 75 वर्षीय जयलक्ष्मी श्रीनिवासन के जेहन में वर्ष 2003 में एक वृद्धाश्रम बनाने का विचार आया, तो उन्होंने पिज्जा बेचकर इसका निर्माण करने का फैसला किया।

पद्मा ने बताया कि मैं हमेशा समाज में अपना योगदान देना चाहती हूं। हमारे समाज में वृद्ध सर्वाधिक उपेक्षित है, इसलिए मैं उनके लिए कुछ करना चाहती हूं। पद्मा ने इसके लिए पहले बेंगलूरु से 30 किलोमीटर दूर विजयनगर गांव में एक भूखंड खरीदा। एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से वित्ता प्रबंधक के रूप में सेवानिवृत्ता पद्मा ने कहा कि भूखंड खरीदने के लिए मैंने अपने पास से 10 लाख रुपये खर्च किए।

वह आगे बताती है कि यह भूखंड 22,000 वर्ग फुट का है, लेकिन अब इस भूखंड पर वृद्धाश्रम का निर्माण करने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे। इस कार्य में 78 लाख रुपये की लागत आने वाली है। इसी दौरान मेरी बेटी सारसा वासुदेवन व मेरी मित्र जयलक्ष्मी ने इस काम हेतु पैसे जुटाने के लिए पिज्जा बनाकर बेचने का सुझाव दिया। इसके साथ ही पिज्जा का मेरा कारोबार शुरू हो गया। पिज्जा हेवेन' नामक पिज्जा की दुकान पद्मा की बेटी के गरेज में शुरू हो गई। जयलक्ष्मी ने कहा कि पिज्जा की आपूर्ति बेंगलूरु के आईटी कंपनियों में शुरू की गई। जल्द ही हमारा पिज्जा यहां के युवा आईटी कर्मचारियों का पसंदीदा बन गया। पिज्जा हेवेन में तैयार होने वाले पिज्जा की ज्यादातर खपत एचपी, आईबीएम, सिम्फोनी, एसेंचर व सन् माइक्रोसिस्टम्स जैसी शीर्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों में होती है।

जयलक्ष्मी मुस्कुराते हुए कहती है कि पिज्जा हेवेन की प्रगति भी हमें चकित करती है। पिज्जा हेवेन से प्रतिदिन लगभग 200 पिज्जा की बिक्री की जाती है। पिज्जा की कीमत 30 रुपये से 120 रुपये के बीच है। इस तरह, पिज्जा से होने वाली आय व शुभचिंतकों के आर्थिक सहयोग से वर्ष 2008 के जून महीने में 'विश्रांति' नामक वृद्धाश्रम बनकर तैयार हो गया। 'विश्रांति' में अभी 10 वृद्ध रहते है। इस संख्या में जल्द ही बढ़ोतरी होने वाली है।

आभार-जागरण/yahoo/hindu