Sunday, February 22, 2009






तीन देवियाँ
आजकल छोटे परदे पर इनका कब्जा है
रात के दस बजे discovery Travel & Living channel के कार्यक्रमों में जब ये देवियाँ अवतरित होती है
तो हमारे जैसे भोजन प्रेमी दिल थाम कर बैठ जातें हैं
सबसे पहले अंजुम आनंद

भारतीय मूल की ३५ वर्षीया महिला के बीबीसी टीवी पर पेश होने वाले कुकरी शो के कई दीवाने हैं
पंजाबी परिवार में पली बढ़ी सो उसका स्वाद इनके खाने में ज़रूर नज़र आता है
और फ़िर बंगाली ससुराल के व्यंजनों से परिचय होने का लाभ इनके कार्यक्रम में साफ़ दिखता है
मधुर जाफरी के कार्यक्रमों की तर्ज़ पर बनाए गए इनके शो काफी आगे निकल गएँ हैं
कई बार तो ब्रिटिश दर्शक भी इनके बनाए चिकन टिक्का मसाला को खाते दिखतें हैं
भोजन भट्ट परिवार इनके FAN क्लब का सदस्य है

दूसरा नाम है चीनी मूल की Kylie kwong का

चाहे Hong Kong और Beijing के महंगे होटल हों
या Guangdong में अपने पैत्रिक गाँव में घरेलू चीनी व्यंजन बनाती इस महिला का जवाब नहीं
चीनी भोजन इतनी सरलता से बन सकता है ,यह देखना चाहिए

लेकिन टीवी पर भोजन की मलिका हैं Nigella Lawson
इनके कुकरी शो को कुछ लोग food पॉर्न भी कहतें हैं
चाहे क्रिसमस केक बनाना हो या सब्जियों का सलाद
इतने उत्साह से खाना बनाते और बीच में उसका स्वाद लेते इन्हे देखना एक दिव्य अनुभव है
CHOCLATE केक को उँगलियों से चाटते इनका उत्साह देखने के काबिल है
इस उमर में भी बच्चों सी सरलता नज़र आती है
हम लोग तो इन देवियों के भक्त हैं

Monday, February 9, 2009



बढ़ रही है भूख -कब होगा bailout

जबसे ओबामा साहब ने राज संभाला है
हर दिन कोई इंडस्ट्री के महापुरुष कटोरा लिए bailout पैकेज मांगते दिखते हैं
मोटर कार बनाने वाले फोर्ड साहब,सिटी बैंक समूह के बड़े बैंकर कतार में लगें हैं
सुना है अमरीकी पॉर्न इंडस्ट्री के मालिकान भी मदद मांग रहें हैं
ओबामा साहब की कृपा दृष्टि का इंतज़ार है
इसीकी तर्ज़ पर बाकी मुल्कों में भी bailout पैकेज बंट रहें है
लेकिन इस बंदरबांट में दुनिया में भूख से मारे लोगों पर किसी की नज़र नहीं पड़ती दिखती
खाद्य पदार्थों की बढती कीमतें ज़मीनी सचाई हैं
मंदी के दौर में बेरोज़गारी से उपजी गिरती क्रय शक्ति भी कड़वा सच है
दार्फुर, सूडान, सोमालिया दूर लगतें हों तो महाराष्ट्र के गडचिरोली जिले में मेलाघाट देख लें
आदिवासी समाज किस खुराक पर जीने को मजबूर हैं
आप देख सकतें हैं
बाल कुपोषण समस्या के आंकडे कुछ भी बताएं ,चित्र झूट नही बोलते
दरअसल पिछले कुछ दशकों में खेती किसानी का दम निकल गया है
रामधन जैसे बैल बेच कर ईंटे के भट्टों पर मजदूरी करने को मजबूर हैं
कृषि क्षेत्र में मजदूरी उस अनुपात में नहीं बढ़ी ,
कृषि जिन्स की वाजिब कीमत बाज़ार में मिलती नहीं
खाद से लेकर बीज के दाम बढ़ते जा रहें हैं
विदर्भ से पंजाब तक किसानों की आत्म हत्या की खबरें आती रहती हैं
खाद्य पदार्थ की कीमतें दुनिया की बड़ी फर्में और नए सट्टा बाज़ार तय करतें हैं
ज्ञानी लोग कहतें हैं कि इन्टरनेट की मार्फ़त ऑप्शन्स मार्केट में किसानों को उतरना चाहिए
इस माया जाल से बाहर आइये हुज़ूर
भूख और कुपोषण से हारी आधी दुनिया पर भी किसी का ध्यान जाएगा क्या
हमें भी bailout की ज़रूरत है
जिससे जिंदा तो रह सकें इस दौर में