Monday, April 6, 2020

जॉर्जिया में खचापुरी

जॉर्जिया में खचापुरी 




बॉस ने कहा था कि जॉर्जिया में किसी  विश्वस्तरीय सम्मलेन में भाग लेना पड़ेगा 
इसमें दो मुश्किलें थीं 
दिवाली का त्यौहार अगले दिन था 
और मुझे मालूम नहीं था कि दुनिया के नक्शें में जॉर्जिया कहाँ है 
रास्ता कहाँ से है 
गूगल महोदय ने जॉर्जिया को पुराने सोवियत रूस का अंग और
 Armenia   और तुर्की के पास बताकर रास्ता दिखा दिया
दिल्ली से दुबई और वहां से चार घंटे आगे 
उसकी राजधानी तब्लिसि (Tbilisi )  तक पहुंचा जा सकता था 

बिटिया रानी बोलीं ,मैं भी चलूंगी 
उनके नानाजी की तबियत नासाज होने की वजह से संगिनी का जाना मुनासिब नहीं था 
तो चल पड़े  बाप बेटी जॉर्जिया की सैर पर 
तब्लिसि शहर पुराने सोवियत रूस की भव्य इमारतों और संग्रहालयों से भरा पड़ा था 
बाल्कन पर्वतों के पास बीच बसा  रमणीय शहर लग रहा था 
लोहे का बना पुल तब्लिसि के दो हिस्सों की मध्य रेखा की तरह था 
नए यूरोप और पुराने रूस का मिला जुला नज़ारा था 
तब्लिसि का  बाज़ार फलों और मसालों से पटा था 
कई तरह के  सेब,आड़ू ,बेर और आलूबुखारे नज़र आये 
 फलों के साथ अखरोट की शक्कर में पगी लड़ी churchkhela  लटकी थी 
तंदूरी नान जैसी रोटियां मिलती थी 
घर घर में wine ढालने की परंपरा थी 
चीज़ की भी कई किस्में मिल रहीं थी 

क्रिस्चियन बहुल देश होने के कारण खाने में सामिष व्यंजनों की भर मार थी 
शहर की मुख्य सड़क का नाम मध्य कालीन देश कवि शोता रुस्तवाली के नाम पर रखा है,
देख दिल को खुशी मिली 
ख़ुशी स्थानीय डिश  खचापुरी 
खाकर भी हुई 
नाव की तरह की नान जैसी रोटी में पिघलती   चीज़ भरी थी 
आज तक स्वाद याद है

चित्र  साभार