जॉर्जिया में खचापुरी
बॉस ने कहा था कि जॉर्जिया में किसी विश्वस्तरीय सम्मलेन में भाग लेना पड़ेगा
इसमें दो मुश्किलें थीं
दिवाली का त्यौहार अगले दिन था
और मुझे मालूम नहीं था कि दुनिया के नक्शें में जॉर्जिया कहाँ है
रास्ता कहाँ से है
गूगल महोदय ने जॉर्जिया को पुराने सोवियत रूस का अंग और
Armenia और तुर्की के पास बताकर रास्ता दिखा दिया
दिल्ली से दुबई और वहां से चार घंटे आगे
उसकी राजधानी तब्लिसि (Tbilisi ) तक पहुंचा जा सकता था
बिटिया रानी बोलीं ,मैं भी चलूंगी
उनके नानाजी की तबियत नासाज होने की वजह से संगिनी का जाना मुनासिब नहीं था
तो चल पड़े बाप बेटी जॉर्जिया की सैर पर
तब्लिसि शहर पुराने सोवियत रूस की भव्य इमारतों और संग्रहालयों से भरा पड़ा था
बाल्कन पर्वतों के पास बीच बसा रमणीय शहर लग रहा था
लोहे का बना पुल तब्लिसि के दो हिस्सों की मध्य रेखा की तरह था
नए यूरोप और पुराने रूस का मिला जुला नज़ारा था
नए यूरोप और पुराने रूस का मिला जुला नज़ारा था
तब्लिसि का बाज़ार फलों और मसालों से पटा था
कई तरह के सेब,आड़ू ,बेर और आलूबुखारे नज़र आये
फलों के साथ अखरोट की शक्कर में पगी लड़ी churchkhela लटकी थी
तंदूरी नान जैसी रोटियां मिलती थी
घर घर में wine ढालने की परंपरा थी
चीज़ की भी कई किस्में मिल रहीं थी
क्रिस्चियन बहुल देश होने के कारण खाने में सामिष व्यंजनों की भर मार थी
शहर की मुख्य सड़क का नाम मध्य कालीन देश कवि शोता रुस्तवाली के नाम पर रखा है,
देख दिल को खुशी मिली
देख दिल को खुशी मिली
ख़ुशी स्थानीय डिश खचापुरी
खाकर भी हुई
नाव की तरह की नान जैसी रोटी में पिघलती चीज़ भरी थी
आज तक स्वाद याद है
चित्र साभार
No comments:
Post a Comment