Monday, February 9, 2009




बढ़ रही है भूख -कब होगा bailout


जबसे ओबामा साहब ने राज संभाला है
हर दिन कोई इंडस्ट्री के महापुरुष कटोरा लिए bailout पैकेज मांगते दिखते हैं
मोटर कार बनाने वाले फोर्ड साहब,
सिटी बैंक समूह के बड़े बैंकर कतार में लगें हैं
सुना है अमरीकी पॉर्न इंडस्ट्री के मालिकान भी मदद मांग रहें हैं
ओबामा साहब की कृपा दृष्टि का इंतज़ार है
इसी की तर्ज़ पर बाकी मुल्कों में भी bailout पैकेज बंट रहें है
लेकिन इस बंदरबांट में दुनिया में भूख से मारे लोगों पर किसी की नज़र नहीं पड़ती दिखती
खाद्य पदार्थों की बढती कीमतें ज़मीनी सचाई हैं
मंदी के दौर में बेरोज़गारी से उपजी गिरती क्रय शक्ति भी कड़वा सच है
दार्फुर, सूडान, सोमालिया दूर लगतें हों तो महाराष्ट्र के गडचिरोली जिले में मेलाघाट देख लें
आदिवासी समाज किस खुराक पर जीने को मजबूर हैं
आप देख सकतें हैं
बाल कुपोषण समस्या के आंकडे कुछ भी बताएं ,चित्र झूठ नही बोलते
दरअसल पिछले कुछ दशकों में खेती किसानी का दम निकल गया है
रामधन जैसे बैल बेच कर ईंटे के भट्टों पर मजदूरी करने को मजबूर हैं
कृषि क्षेत्र में मजदूरी उस अनुपात में नहीं बढ़ी ,
कृषि जिन्स की वाजिब कीमत बाज़ार में मिलती नहीं
खाद से लेकर बीज के दाम बढ़ते जा रहें हैं
विदर्भ से पंजाब तक किसानों की आत्म हत्या की खबरें आती रहती हैं
खाद्य पदार्थ की कीमतें दुनिया की बड़ी फर्में और नए सट्टा बाज़ार तय करतें हैं
ज्ञानी लोग कहतें हैं कि इन्टरनेट की मार्फ़त ऑप्शन्स मार्केट में किसानों को उतरना चाहिए
इस माया जाल से बाहर आइये हुज़ूर
भूख और कुपोषण से हारी आधी दुनिया पर भी किसी का ध्यान जाएगा क्या
हमें भी bailout की ज़रूरत है
जिससे जिंदा तो रह सकें इस दौर में

1 comment:

haria420 said...

Very poignant and true more so in everyday language.