
बंद हो रहीं हैं किताबों की दुकानें
अभी दिल्ली के श्रीराम सेंटर के वाणी प्रकाशन दुकान बंद होने के सदमे से उबर नहीं पाया था
पता चला कि बंगलोर की प्रिमिएर बुक शॉप भी बंद हो रही है
चर्च स्ट्रीट पर ६०० sqft की छोटी सी दुकान में पचास हज़ार किताबें बेतरतीबी से रखी/ठुंसी पड़ी थी
38 साल पुरानी इस दुकान में न तो काफी मिलती थी ,न संगीत की CD या ग्रीटिंग कार्ड
कंप्यूटर भी नहीं था
आज जब हर माल में बनी airconditioned बुक शॉप में कंप्यूटर लगें हैं
शायद ही किसी सहायक को यह भी पता होता है कि अमुक किताब उसकी दुकान में है भी या नहीं
पर प्रिमिएर के मालिक टी एन शानबाग को अपनी दुकान के हर कोने में रखी हर किताब की जानकारी थी
अपनी जिंदगी में इतना सुसंस्कृत,शालीन पुस्तक प्रेमी मालिक मैंने नहीं देखा
१९९१ में पहली बार इस दुकान में कदम रखा था किसी दुर्लभ किताब की तलाश में
शानबाग साहब ने न केवल किताब ढूंढ़ निकाली बल्कि उस लेखक की कई ऐसी किताबों के बारे में बताया जिन्हें मैं जानता भी नहीं था
बिल बनाते समय बिना मांगे १०% discount भी दे दिया
मैं अभिभूत था
दुकान किराये की थी ,बढ़ता किराया न दे पाने में असमर्थ शानबाग साहब ने प्रिमिएर बुक शॉप को बंद कर
अपनी बेटी के पास ऑस्ट्रेलिया में बसने का इरादा कर लिया है
अगर इस देश में सम्मान सही लोगों को दिए जाते
तो ३८ सालों तक पुस्तक प्रेमियों की सेवा के लिए इन्हें पद्म श्री से नवाजा चाहिए था
हाल में भोजन पर आधारित तीन किताबें पढ़ी
चित्रीता बनर्जी की 'Bengali Cooking: Seasons and Festivals '
बंगलादेशी मुस्लिम परिवार में ब्याही भद्र महिला ने बंगाल के दोनों भागों के भोजन और रस्मो रिवाज का रोचक चित्रण किया है ,पर इनकी संपादित 'EATING इंडिया' बेकार लगी
पुरानी दिल्ली के कायस्थ परिवार की दो बहनों की किताबें
शीला धर की 'रागा न जोश' और मधुर जाफरी की 'CLIMBING THE MANGO TREES'
एक ही समय को दो बिलकुल अलग नज़रिए से देखती हैं
शीला धर की किताब ज्यादा रोचक है, संगीतकारों की निजी जिंदगी के अनमोल वर्णन हैं
अब इंतज़ार है जिद्दु कृष्णामूर्ति के सहायक रहे MiCHAEL kROHNEN की 'THE kitchen chronicles' की
अगर प्रिमिएर बुक शॉप खुली होती तो शानबाग साहब ज़रूर खोज निकालते
2 comments:
दुखद खबर है। अभी न जाने और कितनी दुकानें बदली परिस्थितियों , रूचि और जीवनशैली के कारण बंद होने के कगार पर हैं। जानकारी के लिये शुक्रिया।
पुस्तकों की अच्छी दुकानों का बन्द होना हमेशा दुखदायी होता है। यह एक तरह की झुंझलाहट ही है।
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