Monday, January 5, 2009
बिटिया रानी का टिफिन
संगिनी को सदा यह शिकायत रही है कि मैं बिटिया का टिफिन कुछ ज़्यादा ही ठूंस कर भर देता हूँ
दरअसल बिटिया रानी के नर्सरी स्कूल शुरू करने के दिन से ही यह जिम्मेंदारी ले ली थी
कि हर सुबह उसका टिफिन मैं ही पैक किया करूंगा
जिसे खुशी खुशी निभाया भी है
एक साल के दिल्ली के 'वन वास' के सिवा
पर वहां से भी मैं हर शाम पूछ ही लेता था कि कल के टिफिन में क्या है
इसलिए आज मधुर जाफरी की आत्मकथा '‘Climbing a mango tree’ में उनके तीन डब्बों वाले टिफिन के बारे में पढ़ कर खुशी हुई कि चालीस के दशक में भी दिल्ली में स्कूली बच्चे नाश्ते में कोरमा ,रुमाली रोटी भी ले जाया करते थे
हम चारो भाई बहन तो पराठा,आलू की सब्जी /पूरी आलू के सिवा कुछ और टिफिन में ले गए हों ,अब याद नहीं
यह सहूलियत बिटिया रानी के साथ नहीं थी
दक्षिण भारत में पल बढ़ रहीं थीं , शायद इसलिए पूरी पराठे के स्वाद से कोई रिश्ता नही बन पाया था
नर्सरी स्कूल के दिनों में ब्रेड जैम से काम चल जाता था
पर वे ज़ल्दी इससे बोर हो गयीं ,दूसरे हर रोज़ ब्रेड देना कोई स्वास्थ्यवर्धक बात नहीं लगती थी
अब क्या किया जाए
सुबह पन्द्रह मिनट में कौनसा नाश्ता बनाया जाया जो उनको पसंद भी हो,
'Junk food ' की श्रेणी में भी न आता हो ,
साथ में ठंडा होने पर नूडल्स और पिज्जा/पास्ता की तरह अखाद्य न हो जाता हो
सहपाठियों के टिफिन के निरीक्षण से पता चला कि वे ‘lemon rice’ तथा ‘puliyogre’ लाते थे
इसे बनाने का तो बड़ा सरल तरीका था
सुबह आधी कटोरी चावल बना लीजिये ,उसे बघार लगा कर छोंक लीजिए
ऊपर से निम्बू का रस या पुलियोग्रे (इमली/गुड ) का रेडी मेड पेस्ट मिला लीजिए ,नाश्ता तैयार है
(recipes on www.bhojanbhattkirasoi.blogspot.com)
लेकिन हर दिन मसाले वाले चावल नही जमते
सूजी का उपमा और चावल की सेवयिओं का उपमा ख़ास रास नहीं आया
शयद सब्जियां डालने के हमारे आग्रह से स्वाद में वो बात नही रहती थी
फ़िर बिना मटर डाले 'पोहा' और साथ में मसालेदार चने की घुघनी आजमाई गई
यह हिट रेसिपे थी ,सहपाठियों के घरों से बनाने की विधि जानने के लिए फोन आने लगे
जालंधर प्रवास का इतना फायदा हुआ कि रोटी/भरवां पराठे अब वर्जित पदार्थों की श्रेणी से बाहर आगये
सो कभी कभार रोटी के अन्दर भुने/तले पनीर के ऊपर प्याज के लच्छे डाल कर 'काठी रोल ' का शाकाहारी संस्करण बन जाता है
जाड़े में गोभी/आलू प्याज के पराठे भी चल जातें हैं बशर्ते साथ में लहसुन / आम का अचार हो
अचार पर्याप्त मात्र में रखा जाता है ,क्लास की और लड़कियों के लिए भी
लेकिन अक्सर ब्रेड/बर्गर के बीच खीरा,प्याज,पनीर रख कर संदविच भी बना ली जाती है
स्कूल में दो बार छुट्टी होती है ,इसलिए दो टिफिन ज़रूरी हैं
हफ्ते में एक बार इडली/डोसा/उत्थपम भी बनाने का प्रयास रहता है
एक बार दोसे का मिश्रण बन जाए तो उसीसे एक दिन इडली,अगले दिन सादा डोसा और अगले दिन प्याज वाला उत्थपम भी बन जाता है
चने की दाल की चटनी और टमाटर के अचार साथ जायका अच्छा बनता है
आजकल शोध जारी है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
टिफिन बहुत अच्छा है, बधाई...!
hello there bhojanbhatt.blogspot.com blogger found your blog via Google but it was hard to find and I see you could have more visitors because there are not so many comments yet. I have discovered site which offer to dramatically increase traffic to your blog http://mass-backlinks.com they claim they managed to get close to 4000 visitors/day using their services you could also get lot more targeted traffic from search engines as you have now. I used their services and got significantly more visitors to my website. Hope this helps :) They offer most cost effective services to increase website traffic at this website http://mass-backlinks.com
Post a Comment