Saturday, May 30, 2009


नागपुर की यादें
१९८९ में अगस्त की बात है .
श्रीनगर में बैंक में नौकरी कर रहा था
अभी कश्मीर वादी आतंकवाद की गिरफ्त में नहीं आई थी
एक दिन अचानक तार मिला कि नयी नौकरी नागपुर में लग गयी है
पागल खाना चौक के सामने बने संस्थान में २० अगस्त को हाज़िर होइए ,
जहाँ दो साल तक ट्रेनिंग दी जायेगी
उन दिनों संस्थान की पत्रिका 'The File' में गाहे बगाहे स्थानीय भोजनालयों के बारे में लिखता था
आखिरी अंक में सारे होटलों की फेहरिश्त बनाने की कोशिश की ,अगले बैच की मदद के इरादे से
हाल में 'The File' का पुराना अंक मिल गया ,आप भी देखें ,बीस साल बाद इन में से कितने होटल बचे हैं
१. अलंकार- सीता बलडी- ६ रुपयें में विशालकाय पेपर मसाला डोसा मिलता था ,जो दो लोगों के लिए पर्याप्त था
२.अशोका- सदर- मेस बंद होने पर अधिकाँश यार दोस्त यहीं दिखते थे,भुना मुर्ग लाजबाब लगता था
३.अर्जुन- सदर -रस रंजन के शौकीन मित्र इसकी पहली मंजिल पर मिलते थे
४.आर्य भवन- सीता बलडी- शाकाहारी व्यंजन और थाली मिलती थी -पनीर भरता याद है
५.बब्बू का होटल-मोमिन पुरा- सड़क छाप जगह में मटन बिरयानी मिलती थी -स्वाद उम्दा था
६.जगत-सीता बलडी- तीन मंजिले होटल में खाया पाव भाजी और कुल्फी फलूदा याद है
७.नम्रता- सदर में मोतीमहल होटल के पास बना सरदार जी का ढाबा अनादि वर्माजी को काफी पसंद था पंद्रह रुपये में एक प्लेट बटर चिकन मिलता था और २६ रुपये में तंदूरी मुर्ग
८. नानकिंग- -सदर -छोटी सी जगह में चीनी मूल के परिवार का साझा प्रयास
.मोती महल -पारंपरिक पंजाबी खाने का अड्डा- यहाँ खा कर लगता था कि देश में खाने के तेल की किल्लत नहीं है
१०.पर्ण कुटीर- eTHNIC EATERIES का सूत्रधार रेस्तरां -यहां महाराष्ट्रीय थाली में ज्वार रोटी,भाखरी ,पंचामृत सब्जी और कचुम्बर सलाद मिलता था -बाद में होटल के बाहर पान की दूकान पर पक्षियों के आकार के पान खाए जाते थे
बीस साल बाद मित्रों का नागपुर में फिर से मिलने का इरादा है ,देखें क्या कुछ बदला है

Monday, May 18, 2009


MTR में पार्टी
बजट पार्टी हमारे दफ्तर की परंपरा है ,जो वित्तीय वर्ष के पूरे होने पर दी जाती है
मेरे सुझाव पर सहयोगी इसे ८५ वर्ष पुराने MTR रेस्तरां में लंच करने पर राजी हो गए
आखिर बंगलोर के इस लैंडमार्क रेस्तरां में भोजन करना सबकी दिली ख्वाहिश रहती है
१९२४ में मैया बंधुओं द्वारा स्थापित यह भोजनालय इस पीढी में हेमामालिनी मैया बखूबी चला रहीं हैं
उदिपी ब्राह्मण शैली के भोजन की परंपरा जारी है
पुरानी दो मंजिला बिल्डिंग के आगे घंटों कतार लगती है
भोजन अनुरागी ग्राहकों की ,जो इसके भोजन की शुद्धता के कायल हैं
अंदर दीवारों पर रवि वर्मा के तेल चित्र
लगता है कि दुनिया कहीं थम सी गयी है ,कुछ भी बदला नहीं
फर्नीचर के नाम पर लाल प्लास्टिक की कुर्सियां
वेटिंग वाले सज्जन लकडी की बेंच पर बैठे अपनी बारी का इंतज़ार करतें हैं
घुटनों तक मोड़ी धोते पहने ब्राह्मण वेटर जनेऊ का विज्ञापन करते प्रतीत होते हैं
पुरानी दो मंजिला बिल्डिंग के आगे घंटों कतार लगती है गुणी ग्राहकों की
जो इसके भोजन की शुद्धता के कायल हैं
उन्हें इंतज़ार रहता है शुद्ध घी में पके भारी भरकम मसाला डोसा का
सूजी की बनी रवा इडली का ,जिसके साथ पाल्या (गीलीसब्जी) मिलती है,साम्भर नहीं
मीठे के लिए केसरी बाथ और बादाम हलवा
साथ में चाँदी के ग्लास में फिल्टर काफी
आपातकाल के दौरान जब सरकार ने फ़ूड कण्ट्रोल एक्ट के तहत
इडली/वड़ा, डोसा के रेट ज़बरदस्ती कम कर दिए थे ,
तो इस कीमत पर अपनी गुणवत्ता से समझौता करने के बजाय मालिकों ने होटल बंद कर पिसे मसालों की दूकान खोल ली ,जो आज एक अलग बड़ा व्यवसाय है
लेकिन लंच के समय केवल थाली मिलती है
उस दिन शुरुआत हुई चाँदी के ग्लास में अंगूर के रस से
फिर चाँदी कि थाली मैं सबसे पहले कसुम्ब्री- भीगी मूँग की दाल का सलाद आया
बारी थी सादे दोसे की ,जिसे नारियल की चटनी के साथ परोसा जा रहा था
दोसे वाली आलू की सब्जी की जगह दो तरह का सूखा पाल्या आया .
घिसे नारियल के मसाले में पकी पत्ता गोभी और बीन्स की सब्जियां ,जिसमे राई का बघार लगा था
नया अनुभव था इस तरीके से डोसा खाना
अब बारी थी पुलाव की -आज के दिन कर्णाटक का विशिष्ट व्यंजन बीसी बेले बाथ -साथ में खीरे का रायता और आलू चिप्स , मसालेदार गरमा गर्म पुलाव खाकर मीठे की तलब हुई
ताज़ा बनी जलेबी और खीर जैसी पायसम हाज़िर थी
इसके बाद चावल के साथ साम्भर और रसम
अंत में MTR का प्रसिद्ध कर्ड राइस ,जिसमे अनार के दाने दिख रहे थे ,स्सथ में निम्बू का अचार
अभी चाँदी की कटोरी में fruit सलाद के साथ वनिला आइस क्रीम भी आनी बाकी थी
फिर आखिर में पान
सहयोगी खुश थे ,अगला वित्तीय वर्ष भी अच्छा बीते

Tuesday, May 12, 2009


वाह ला पिआजा
अगर गाँधी परिवार को दिल्ली में अच्छा इटालियन खाना चाहिए
तो दिल्ली के hyatt होटल के 'ला पिआजा ' रेस्तरां में ही जाना पड़ता है
आखिर लगातार दो सालों से इसे दिल्ली के सर्वश्रेष्ट इटालियन भोजन का खिताब मिल रहा है
गुणी जन तो इसे हिंदुस्तान के सबसे बढ़िया इटालियन भोजन का अड्डा बतातें हैं
पांच तारा होटल के अन्दर बने इस रेस्तरां में यूरोपीय sidewalk कैफे जैसा माहौल है
बीचो बीच बने लकडी के कोयले के ओवेन में शेफ लोग पिज्जा लगाते दिखते हैं
ढेर सारे विदेशी ग्राहकों की उपस्थिति विश्वास दिलाती है कि अच्छे इटालियन खाने की तलाश में
हम लोग सही जगह पहुँच गएँ हैं
वैसे तो पूरे देश में तंदूरी और चीनी खाने के बाद अब इटालियन खाने की धूम मची हुईं है
हर गली के नुक्कड़ पर मिलने वाले अमूल पिज्जा की तरह
मध्यवर्गीय शादियों में भी live पास्ता काउंटर का हों अनिवार्य सा हैं
जहाँ टमाटर के लाल सॉस या क्रीम /चीज़ के सफ़ेद सॉस में
बेबी corn, पेप्पर,मशरूम और broccoli जैसी विदेशी सब्जियां तली जाती हैं
और आपकी प्लेट में गार्लिक ब्रेड या ओलिवे आयल में भीगे toast के साथ पेश की जाती हैं
आप भी खुश,मेजबान भी खुश
लेकिन इटालियन भोजन में पास्ता /पिज्जा से आगे भी बहुत कुछ है
इसमें इटली के अलग अलग क्षेत्रों (जैसे सिसिली) के अलावा रोमन /मुस्लिम सांस्कृतिक जीवन की छाप भी है
mediterrean समुद्र के पास होने से समुंदरी मछली और जैतून के तेल के प्रयोग से खाने की अलग रंगत है
यहाँ पर खाना कई कोउर्सेस में पेश करते हैं (भारत में बंगाली भोजन की तरह)
सबसे पहले antipasti, - भोजन से पहले शुरुआती व्यंजन
जिसमें cured meats, ऑलिव्स , भुने लहसुन , pepperoncini, मुशरूम्स , anchovies, artichoke hearts, तरह तरह की चीज़ ,peperone (marinated small green bell peppers)
इस सबमें ओलिवे आयल का प्रचुर मात्रा में इस्तेमाल होता है
इसके बाद primo - first course आता है जो पेट भरने वाली महत्वपूर्ण डिश होती है
जैसे risotto (खिचडी जैसी) या pasta,gnocchi, polenta या soup.
"second course",में मांस या मछली की बनी कोई डिश होती है
"side डिश". में हरा भरा सलाद या हलकी तली सब्जियां मिलती हैं
आखिर में मीठे के नाम पर पहले चीज़, कटे फल फिर केक और कुकिएस
आखिर में काफ़ी
हम लोग तो ला पिआजा के ओवेन से मंत्र मुग्ध थे
उसमे ताजा bake किये हुए बन(Focaccia )के साथ कटे टमाटर,पिसे लहसुन का olive आयल में पगी चटनी जैसी साइड डिश बार बार खाते रहे
यह complementary था
साथ में पतली margherita पिज्जा ,हलकी भुनी सब्जियां
और दो पास्ता की डिश (spaghetti और penne ) मगायीं गयीं
भोजन दिव्य था ,पर ऐतिहासिक नहीं
पांच लोगों का बिल ३८९२ रुपये का था
अब पता चला कि इस होटल में विदेशी ग्राहक ही क्यों ज्यादा आते हैं