Thursday, May 8, 2008

अक्की रोटी


मंगलोर जाकर भी न तो नीर डोसा खाने को मिला
न अक्की रोटी .
कोरी रोटी नामका रेस्तौरांत जरुर दिखा.
नैवेद्यम रेस्तरां में रागी रोटी थाली में खाने को मिली
पर उसके ऊपर घी देखकर मज़ा किरकिरा हो गया.
रागी मुद्डे (रागी के आटे के बने लड्डू जैसे गोले) जिसे वेज/नानवेज करी या रसम के साथ खाते हैं,
पूर्व प्रधान मंत्री देवेगौडा जी का प्रिया अल्पाहार है.
लगा मंगलोर की यात्रा बेकार हो
गई संगिनी ने कहा निराश क्यों होते हो ,घर जाकर अक्की रोटी बना दूंगी
अक्की रोटी -विधि
2 कप चावल का आता१/२ कप घिसा हुआ ताजा नारियल बारीक़ कटी प्याज ,हरी मिर्च ,धनिया,नमक अंदाज से
(चाहें तो गाजर घिस लें)१/२ कप पानीउपयोग हो रहा तेल -आटे में सब सामान मिला कर थोड़े कुनकुने पानी में गूँथ लें हथेली में जरा सा तेल लगाकर बड़े नीम्बू/संतरे की साइज़ की लोई लेंगरम नॉन स्टिक तवे पर जरा सा तेल फैला लें उसके ऊपर लोई को हाथ से रोटी की शक्ल देकर फैला दें रोटी के ऊपर जरा सा तेल चुपड देंढक्कन से ढँक कर २-३ मिनट धीमी आंच पर पकाएं जबतक रंग खुशनुमा क्रीम रंग का हो जाए अब ढक्कन हटा कर पलट कट ३-४ मिनट तक सेंके कुरकरा होने तक
अक्की रोटी  तैयार है .
लाल मिर्च लहसुन धनिया की चटनी के साथ खाएं



*कोरी रोटी बुन्त समुदाय की चावल के आटे से बनी पापड़ जैसी रोटी को कहते हैं ,
जिसके टुकड़े चिकन करी में डुबोकर खाने का रिवाज है.
*रागी रोटी -रागी आटे में कटी प्याज,हरी मिर्च मिलाकर बनने वाली रोटी है
 जिसे कर्णाटक में नाश्ते में शौक से खाते हैं,गुण भी गाते हैं

2 comments:

अनिल रघुराज said...

पेट से दिल और फिर दिमाग तक पहुंचने का इरादा है क्या? अच्छा है ब्लॉग ने एक बार फिर टूटे हुए तारों को जोड़ दिया। और ये वर्ड वेरिफिकेशन का क्लेश खत्म कीजिए महराज!!
अनिल सिंह

VIMAL VERMA said...

संजयजी,इसी तरह बढ़िया पकवान पकाते रहें पढ़ पढ़ के हम भी बनाना सीखेंगे...तो आपने तय कर लिया है कि भोजनभट्ट भोजन सामग्री ही परोसेगा...अरे संजयजी मानसिक आहार भी तो चाहिये.....उसके लिये हम कहां मिलेंगे साथी?