Monday, May 12, 2008

असली हैदराबादी बिरयानी की खोज में


असली हैदराबादी बिरयानी की खोज में
वैसे तो यह मिथ अब तक टूट जाना चाहिए की दक्षिण में बसने वाले अधिकतर शाकाहारी होते हैं
सच्चाई इसके उलट है.
चारो प्रदेशों में मांस के विविध व्यंजन बनते है शौक से परोसे औरखाए जाते हैं
दरअसल तमिल जन जीवन और उससे जुड़े समाज और माहौल पर
अल्पसंख्यक ब्राह्मण वर्ग का इतना ज्यादा प्रभाव रहा है
कि हर शख्स दक्षिण को शाकाहारी भोजन की कार्यस्थली समझता है.
गावों तक में महाभोज या सामाजिक उत्सवों में बिना नान वेज खाने के तृप्ति नही होती
कर्णाटक और आंध्र प्रदेश में मटन बिरयानी की वही महत्ता है
 जो और जगहों पर पूरी/कचौरी आलू /कद्दू की सब्जी की दावत की है.
बिरयानी शब्द शायद फारसी के beryā(n) (بریان) से आया है,जिसका अर्थ है भुना /तला हुआ
संभवतः मुग़लों के साथ पश्चिम एशिया से आए तोहफों में बिरयानी का भी शुमार होना चाहिए
जैसे जैसे मुग़ल सल्तनत के कदम बढे ,हिंदुस्तान के हर हिस्से में बिरयानी की खुशबू फ़ैल गई.
अब तो लखनऊ , भोपाल से लेकर केरल के मोपलाह लोग भी बिरयानी पर अपना कापी राइट मानते हैं
लेकिन जैसे किलों में चित्तोड़ गढ़ का नाम है, वैसे ही हैदराबादी बिरयानी ज्यादा मशहूर है.
हैदराबादी बिरयानी दो तरीके से बनती है कच्ची बिरयानी में कच्चे गोश्त की अखनी के साथ चावल और मसाले हांडी में सील कर दिए जाते हैं पकने के लिए,
जबकि पक्की बिरयानी में तैयार मीत और आधे उबले चावलों कर एक के ऊपर एक परत लगाई जाती है .
बिरयानी को अक्सर मिर्ची के सालन की तरी और रायता के साथ परसते हैं .
लेकिन असली हैदराबादी बिरयानी मिलेगी कहाँ
चलें खोज में...

1 comment:

VIMAL VERMA said...

भोजनभट्ट नाम आपने बदल दिया? अच्छा था..चलिये ये भी अच्छा है कम से कम भोजन के अलावा इस ब्लॉग पर और भी विषयों पर लिख पायेंगे शायद ऐसा सोच कर आयकर वाले TDS दिया है आपने ....अगर आप पहले बता देते कि भोजन विधि के बारे इतना जानते हैं तो कम से कम इलाहाबाद में मैं और प्रमोद दाल चावल और रोटी सब्ज़ी के अलावा और भी बहुत कुछ बना कर खाते और आप पर गर्व करते....कुछ दिन आपका ब्लॉग नादारद था डिलिट कर दिया गया है ऐसी सूचना स्क्रीन पर आ रही थी...पर बदले हुए नाम के साथ फिर से आप दिखाई दे रहे हैं ये सुखद है लिखते च्रहिये......