Monday, June 16, 2008


बेताज बादशाह
अमीन सयानी की भाषा में कहूँ तो ढाबे भी कई पायदान चढ़ते उतरते रहते हैं
श्रोताओं की फरमाइश और रेकोर्डों की बिक्री की तरह ही ग्राहकों की पसंद बदलती रहती है
हर हफ्ते न सही ,कुछ महीनों में बदलाव नज़र आ जाता है
इसके चार पैमाने हो सकते हैं
१.उत्तम खाना
२.पैसा वसूल दाम
३.माहौल और साफ सफ़ाई
४.शहर से दूरी
कुछ सालों पहले खाने के शौकीनों की राय बंटी हुई थी
अमृतसर-जालंधर मार्ग का Lucky ढाबा पहली पायदान पर गिना जाता था
चौबीसघंटे ढाबे के सामने बसों ,ट्रकों की कतार लगी रहती थी
लुधिअना जालंधर के बाशिंदे भी अच्छे सुस्वादु भोजन की खोज में मिल जाते थे
कई लोग करनाल-पानीपत सड़क पर बने प्रिन्स ढाबा को सरताज मानते थे
हिमाचल वाले कसौली के रस्ते में धरमपुर के पास के 'ज्ञानी ढाबा' की तारीफ़ करते थे
बरनाला कैंची के पास का नेशनल ढाबा भी मशहूर था
(खाना सबमे एक जैसा ही था ,कड़क तन्दूरी पंजाबी व्यंजन)
लेकिन २००१-०२ में लुधियाना जालंधर सड़क पर एक नया ढाबा क्या खुला
कि सारी तस्वीर बदल गई
पारंपरिक पंजाबी शान शौकत से सजा 'हवेली' शाकाहारी ढाबा जब खुला तो महीनों तक ढाबे के बाहर घंटों लम्बी कतारें लगीं
दो तीन बार और जालंधर वालों की तरह भोजन भट्ट का परिवार भी बाहर से नज़ारे देख कर लौट आया
जलेबी,गुलाब जामुन, कुल्फी ,चाट बाहर ही मिलती थी
गोवा में होटल बेच कर बनाए इस ढाबे से जैन बंधुओं ने ढाबों की दुनिया में मानो क्रांति ला दी
ढाबे के कई हिस्से थे
५५० सीटों वाला वातानुकूलित हाल -फुलकारी सजावट और पारंपरिक बर्तन भांडे सहित
किलकारियाँ -बच्चों के खेलने के लिए मेले जैसा माहौल -पानी से भरा नकली कुआँ,पनघट समेत
पास में रंगला पंजाब पार्टी हॉल
ख़ास बात यह थी कि फाइव स्टार व्यवस्था के बावजूद दाम ढाबे के स्तर के थे
अपनी याद दाश्त में इतने साफ सुथरे बाथ रूम मैंने किसी होटल में नही देखे
भोजन भी उत्तम था ,वहां खाई व्रतों वाली नवरात्र थाली अभी भी याद है
खीर ठंडी और गाढ़ी थी
कढ़ी चावल और मिस्सी रोटी लाजवाब थे
और जेब पर बोझ भी ज्यादा नही पड़ा
कोई अचरज नही की इतने सालों के बाद भी पहली पायदान पर टिका है
ढाबों का बेताज बादशाह
जालंधर का हवेली ढाबा

3 comments:

अनिल रघुराज said...

चलिए, जालंधर आना हुआ तो हवेली के खाने का जायका ज़रूर लिया जाएगा। जानकारी के लिए शुक्रिया।

Anonymous said...

जी. टी .रोड पर करनाल के पास इन्हीं मालिकान का इसी नाम का एक और ढाबा है
पर दोनों में ज़मीन आसमान का अन्तर है
वहाँ न भटक जाइयेगा

Udan Tashtari said...

जानकारी के लिए आभार.