Wednesday, June 18, 2008


धान का कटोरा
मृणाल पांडे ने मिंट अखबार में लिखा है कि बुंदेलखंड में अब लोग एक दूसरे की रोटियां लूटने लगे हैं
कुछ खेतिहर मजदूर दिन के खाने की पोटली लेकर निकले ही थे कि गाँव के बाहर दूसरों ने बल से खाना छीन लिया
बंगलादेश से लेकर हैती तक में अनाज की किल्लत से दंगे हो रहें हैं
जबसे ज्ञानवंत बुश साहब ने भारत चीन को दुनिया में खाद्यान्न की कमी के लिए जिम्मेदार बताया है
दुनिया भर में उनकी थू थू हो रही है
विद्वान् गण अनाज को मांस में तब्दील करना कमी का कारण बताते हैं
कुछ लोग corn को ईंधन के लिए उपयोग करने से उपजी जिंसों की किल्लत को जिम्मेदार बताते है
पर इस पूरे प्रकरण में जापान कि भूमिका पर ध्यान नहीं दिया गया
धान की कमी के लिए भारत ,विअतनाम और थाईलैंड पर आरोप लगते हैं कि निर्यात पर रोक लगाने से पड़ोसी देश परेशान हो रहे हैं
जापान हर साल ७ लाख टन धान का आयात करता है
मजबूरन
उसके गोदामों में औसतन २.४ मिलियन टन धान भरा हुआ है
दो तिहाई हिस्सा अमरीका से ख़रीदा हुआ है
यह सारा धान airconditioned गोदामों में रखा है
क्योंकि इसकी ज़रूरत किसी को नही है
सड़ता भी नही
इसलिए हर चौथे साल इसे निकाल कर मुर्गियों को खाने के लिए दाल दिया जाता है
जापानी लोग आयात किया हुआ चावल किसी भी कीमत पर खरीदने को तैयार नही है
शायद मुफ्त में भी नही
दूसरे विश्व युद्ध से जापान ने अगर कोई नसीहत ली तो खाद्यान्नों के मामलें में आत्म निर्भरता की
मगर अमरीका जिद पर अडा है कि हर साल सात लाख टन चावल उसे अमरीका से खरीदने पड़ेंगे
चाहे जरुरत हो या नही
उरुगुए राउंड की यही दरकार है
जापान अगर इस अतिरिक्त चावल को पड़ोसी देशो को बेचना/मुफ्त में भी बाटना चाहे तो नही कर सकता
क्योंकि अमरीका के हिसाब से इससे ग़लत परिपाटी शुरू होगी
अंततः उसके बड़े किसानों को नुक्सान उठाना पर सकता है
इसलिए दंगे होते हैं तो होते रहें
महाबली आजकर गुफ्तगू कर रहे हैं

1 comment:

Udan Tashtari said...

लोगों का ध्यान बटवाने का राजनेतिक तरीका है उन महाबलियों का यह.