Monday, June 23, 2008



कटिंग चाय -मजबूरी में
इसका स्वाद मुंबई वालों के लिए तो आम बात होंगी
पर वन - बाई टू काफी पीने का मौका बंगलोर आकर ही मिला
सधे हाथों से स्टील के ग्लास में पहले गाढा द्रव्य (काफी decoction)डालते हैं फ़िर एक कप दूध+पानी+चीनी के उबलते पेय को दोनों ग्लास में बाँट देते हैं
शुरू में लगता था क्या अजीब शगल है
बाद में लगा कि ये बढती कीमतों से जूझने का एक तरीका है
लेकिन हाल की सर से ऊपर भागती महंगाई के चलते ये काफ़ी भी अब बहुतों को नसीब नहीं है
पूरे दक्षिण भारत में बिना फिल्टर काफी के दिन की शुरुआत नही होती
कामकाजी/मजदूर नुक्कड़ की काफी कढाई/ठेले पर पीते हैं
होटल वाले इडली डोसा के साथ काफी का दाम भी बढ़ाने को मजबूर हैं
काफी हर शख्स पीता है पर बढ़ा हुआ दाम देने में असमर्थ है
होटल वाले आधे कप का तीन चौथाई भर कर उसी कीमत पर बेच रहें हैं
कई लोग दूध कम कर पानी बढ़ा रहें हैं
बिहार में लालू यादव की लोकप्रियता में भले कमी न हुई हो
समोसे के अन्दर भरे आलू मिश्रण में भारी कमी हुई है
बेकरी वाले puff के अन्दर भरा सब्जियों का मसाला कम कर रहे हैं
भोजन भट्ट का परिवार हाल में डोसा खाने गया तो डोसे की साइज़ देख कर दंग रह गया
थाली की साइज़ का डोसा सिमट कर तश्तरी के आकार का रह गया था
दूसरा डोसा ऑर्डर करने की गुंजाईश नही थी सो आधे पेट मन मसोसना पड़ा
दुनिया की दो तिहाई आबादी खाने की बढती कीमतों से जूझ रही है
पर बच्चों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है
पहले मिड डे भोजन में मेनू हर दिन बदलता था
खारा पोंगल /रोटी सब्जी / चावल साम्भर/ बिसे बिले भात /उपमा मिलती थी
हर डिश में सब्जियां लगती हैं
सब्जियां अब सबको नसीब नहीं
२.३२ रुपये फी बच्चे में शाला विकास प्रबंधन समितियां सब्जियां जुगाड़ने में असमर्थ हैं
नतीजन बच्चों के खाने से सब्जियों की कटौती हो रही है
बड़ी कम्पनियाँ चालाकी अपना रहीं हैं
५०० ग्राम चाय के पैकेट में ४९० ग्राम चाय मिलती है
सो कटिंग चाय भी अब सबको मयस्सर नहीं

1 comment:

Udan Tashtari said...

सब्जियाँ अब लक्जरी की केटेगरी में आती हैं.